गुजरात में पुल गिरा: 11 की मौत, कई वाहन नदी में गिरे

गुजरात में पुल गिरा: 11 की मौत, कई वाहन नदी में गिरे

गुजरात में पुल गिरा: 11 की मौत, कई वाहन नदी में गिरे :- गुजरात के वडोदरा जिले में शुक्रवार देर शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जब वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ने वाला गम्भीरा पुल अचानक भरभराकर गिर गया। यह पुल महिसागर नदी पर बना हुआ था और घटना के समय उस पर कई वाहन गुजर रहे थे। पुल का एक बड़ा हिस्सा टूटकर नदी में समा गया, जिससे वहां से गुजर रहे कम से कम 5 वाहन पानी में जा गिरे। इनमें दो ट्रक, दो वैन और एक ऑटोरिक्शा शामिल थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा इतना अचानक हुआ कि वाहन चालकों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। आसपास के ग्रामीण और राहगीर तुरंत मौके पर पहुंचे और अपनी ओर से बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन भारी वाहनों और तेज बहाव के कारण कई लोग फंस गए। सूचना मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अब तक 11 लोगों के शव नदी से निकाले जा चुके हैं, जबकि कई अन्य लापता हैं।

स्थानीय प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए पास के अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया है और घायलों को तुरंत इलाज के लिए भेजा जा रहा है। मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। वहीं, गुजरात सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे की घोषणा भी की है।

गौरतलब है कि गम्भीरा पुल कई साल पुराना था और स्थानीय लोग लंबे समय से इसके जर्जर होने की शिकायत कर रहे थे। फिलहाल हादसे के कारणों का पता लगाया जा रहा है, लेकिन प्राथमिक जांच में निर्माण में खामियों और रखरखाव की कमी की आशंका जताई जा रही है। इस घटना ने एक बार फिर पुलों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर बरसात के मौसम में, जब नदी का जलस्तर ऊंचा और बहाव तेज होता है।

पूरा इलाका अभी भी सदमे में है, और प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं। यह हादसा न केवल कई परिवारों के लिए अपूरणीय क्षति लेकर आया है, बल्कि राज्य के लिए भी एक चेतावनी है कि बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में कोताही कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है।

हादसे की जानकारी

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। यह पुल, जो वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ता है, महिसागर नदी पर स्थित है और इसका निर्माण वर्ष 1981 में शुरू हुआ था। चार साल के निर्माण कार्य के बाद 1985 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था। लगभग 900 मीटर लंबा यह पुल कुल 23 स्पैन (खंड) से मिलकर बना है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अनुसार, शुक्रवार को इन 23 में से एक स्पैन अचानक ढह गया, जिससे यह भीषण दुर्घटना हुई।

घटना के समय पुल पर कई वाहन गुजर रहे थे। जैसे ही स्पैन टूटा, पुल का एक हिस्सा नदी में धंस गया और वहां मौजूद पांच वाहन तेज बहाव में गिर गए। इन वाहनों में दो ट्रक, दो वैन और एक ऑटोरिक्शा शामिल थे। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग, पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।

वडोदरा कलेक्टर अनिल धमेलिया ने पुष्टि की है कि अब तक 9 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि कई अन्य लोगों की तलाश जारी है। बचाव दल गोताखोरों और नावों की मदद से नदी में फंसे या लापता लोगों को खोजने में जुटा है। हालांकि, महिसागर नदी में इस समय तेज बहाव और बढ़ा हुआ जलस्तर रेस्क्यू कार्य में बाधा डाल रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र उपचार के निर्देश दिए। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच के आदेश देते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा भी की है।

गौरतलब है कि गम्भीरा पुल की उम्र अब करीब चार दशक हो चुकी है और स्थानीय लोग लंबे समय से इसके रखरखाव को लेकर चिंतित थे। यह हादसा एक बार फिर से बुनियादी ढांचे की नियमित जांच और मरम्मत की आवश्यकता को उजागर करता है, खासकर बरसात के मौसम में, जब नदी का जलस्तर और बहाव दोनों ही खतरनाक स्तर पर पहुंच जाते हैं।

इस भीषण त्रासदी ने न केवल कई परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया है, बल्कि पूरे राज्य के लिए यह एक चेतावनी बनकर सामने आई है कि समय पर रखरखाव और निगरानी की कमी किस तरह जानलेवा साबित हो सकती है।

ट्रक हवा में लटका, ड्राइवर लापता

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे के बाद घटनास्थल से सामने आए एक वीडियो ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। इस वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पुल के टूटे हुए हिस्से पर एक बड़ा ट्रक हवा में लटका हुआ है। यह ट्रक पुल के ध्वस्त हिस्से और सुरक्षित हिस्से के बीच बेहद खतरनाक तरीके से संतुलन बनाए खड़ा है। चारों ओर से नीचे गहरी नदी का तेज बहाव और बीच में पुल के किनारे से झूलता यह ट्रक, स्थिति की भयावहता को साफ दर्शाता है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह ट्रक हादसे के तुरंत बाद से ही इसी स्थिति में फंसा हुआ था और लगभग आठ घंटे बाद तक भी वह पुल के बीचोंबीच अटका रहा। हादसे के समय ट्रक का ड्राइवर वाहन के अंदर मौजूद था, जो किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ड्राइवर के सुरक्षित निकलने की खबर के बाद से उसका कोई पता नहीं चल पाया है, जिससे उसके परिजनों और प्रशासन दोनों की चिंता बढ़ गई है।

वहीं, जो दूसरा ट्रक पुल के साथ नदी में गिर गया था, उसे बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीम ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। इस कार्य में एक भारी क्रेन और तीन जेसीबी मशीनों को लगाया गया है। लेकिन नदी के तेज बहाव, गहराई और कीचड़ के कारण मशीनरी को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक ट्रक को पानी से बाहर खींचने में सफलता नहीं मिल पाई है।

इस पूरी घटना ने यह भी उजागर किया है कि पुल टूटने के बाद बचाव और राहत कार्य कितने जटिल हो सकते हैं, खासकर तब जब हादसा बड़े वाहनों के साथ नदी जैसे कठिन भूभाग में हो। प्रशासन का कहना है कि वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि सभी फंसे हुए वाहनों और लापता लोगों को जल्द से जल्द खोजा और बाहर निकाला जा सके।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे ने पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया है। इस दुखद घटना में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और कई घायल हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता और घायलों को ₹50,000 की मदद देने की घोषणा की है। उन्होंने हादसे में घायल सभी लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी इस घटना को “गंभीर और बेहद दुखद” बताया। उन्होंने हादसे की जानकारी मिलने के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य की निगरानी के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए और घटनास्थल की स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखी। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को ₹4 लाख की सहायता राशि और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार घायलों के इलाज और पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद करेगी।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री, दोनों की ओर से दिए गए मुआवजे की घोषणाओं के साथ-साथ प्रशासन ने भी प्रभावित परिवारों के लिए राहत सामग्री और आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस घटना ने एक बार फिर बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और सरकार की ओर से संकेत दिया गया है कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए पुलों और सड़कों की समय-समय पर जांच और मरम्मत की प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।

तीन महीने पहले मंजूर हुआ था नया पुल

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे ने न केवल लोगों की जान ली है, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे की स्थिति और सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खास बात यह है कि इस पुल पर भारी ट्रैफिक दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने महज तीन महीने पहले ही ₹212 करोड़ की लागत से एक नया पुल बनाने की मंजूरी दी थी। इस नए पुल के लिए डिजाइन तैयार करने और टेंडरिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी। माना जा रहा था कि नया पुल तैयार होने के बाद गम्भीरा पुल पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा।

लेकिन इस बीच अचानक हुए हादसे ने सरकार को तुरंत एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना की जानकारी मिलते ही संबंधित विभागों को सख्त निर्देश दिए और तत्काल चीफ इंजीनियर, ब्रिज डिज़ाइन टीम और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों को घटनास्थल पर भेजा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस हादसे के कारणों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक अकाउंट से लिखा,
“रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट को निर्देश दिया गया है कि वह घटना की तत्काल जांच करे। इसके लिए चीफ इंजीनियर (डिजाइन), साउथ गुजरात के चीफ इंजीनियर और दो निजी ब्रिज विशेषज्ञों की टीम को भेजा गया है। यह टीम पुल के ढहने के कारणों और तकनीकी पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।”

इस जांच टीम का उद्देश्य केवल पुल के गिरने के प्रत्यक्ष कारणों का पता लगाना ही नहीं, बल्कि पुल के संरचनात्मक स्वास्थ्य, रखरखाव की स्थिति और किसी भी तरह की संभावित लापरवाही का भी आकलन करना है। सरकार ने संकेत दिया है कि अगर जांच में किसी भी तरह की लापरवाही या तकनीकी खामी पाई गई, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस ने 2017 में जताई थी चिंता

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे के बाद अब पुराने दस्तावेज़ और राजनीतिक बयानों ने एक बार फिर पुल की जर्जर हालत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि वर्ष 2017 में कांग्रेस पार्टी ने सार्वजनिक रूप से गम्भीरा पुल की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई थी।

उस समय कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि पुल की संरचना समय के साथ कमजोर होती जा रही है और इस पर बढ़ता यातायात भार इसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पार्टी ने राज्य सरकार से मांग की थी कि पुल की तत्काल तकनीकी जांच करवाई जाए और तब तक इस पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाए। कांग्रेस नेताओं ने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह पुल कभी भी बड़ा हादसा बन सकता है।

हालांकि उस समय सरकार ने मरम्मत और रखरखाव के लिए कुछ कदम उठाने की बात कही थी, लेकिन स्थानीय लोगों और विपक्ष का आरोप है कि पुल की पूरी तरह से तकनीकी जांच या बड़े पैमाने पर मरम्मत का काम नहीं किया गया। अब, आठ साल बाद, यह भीषण हादसा उन आशंकाओं को सही साबित करता नजर आ रहा है, जिन्हें 2017 में ही सार्वजनिक रूप से उठाया गया था।

यह तथ्य न केवल राजनीतिक बहस को फिर से जीवित कर रहा है, बल्कि बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और समय पर रखरखाव में प्रशासनिक तत्परता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

गुजरात के वडोदरा जिले में हुए गम्भीरा पुल हादसे ने एक बार फिर पुराने जख्म और पुरानी चेतावनियों को ताज़ा कर दिया है। घटना के बाद अब पुराने दस्तावेज़, राजनीतिक बयान और सालों पहले उठाए गए सवाल चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। खासतौर पर वर्ष 2017 का वह दौर, जब कांग्रेस पार्टी ने खुले मंच से गम्भीरा पुल की जर्जर हालत को लेकर गंभीर चिंता जताई थी।

तब कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि यह पुल अपनी उम्र पूरी कर चुका है और इसकी संरचना धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। उनका कहना था कि लगातार बढ़ते ट्रैफिक, खासकर भारी वाहनों के दबाव ने पुल की नींव और स्पैन पर असर डाला है, जिससे इसकी मजबूती पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। विपक्ष ने राज्य सरकार से मांग की थी कि पुल की तुरंत तकनीकी जांच करवाई जाए और जब तक यह जांच पूरी न हो, तब तक इस पर भारी वाहनों का आवागमन रोक दिया जाए।

कांग्रेस की उस समय की चेतावनी बेहद स्पष्ट थी—अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह पुल कभी भी एक बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है। हालांकि सरकार ने उस समय मरम्मत और रखरखाव के कुछ काम करने की बात कही थी, लेकिन स्थानीय निवासियों और विपक्षी नेताओं का आरोप है कि पुल की गहन तकनीकी जांच और व्यापक मरम्मत का काम कभी भी गंभीरता से नहीं किया गया।

आज, आठ साल बाद, गम्भीरा पुल के ढहने की यह भीषण घटना उन आशंकाओं को हकीकत में बदल चुकी है, जिन्हें 2017 में ही जोर-शोर से उठाया गया था। यह हादसा न केवल राजनीतिक बहस को फिर से जीवित कर रहा है, बल्कि यह भी साबित कर रहा है कि समय पर रखरखाव और निगरानी की कमी कैसे जानलेवा साबित हो सकती है।

इस त्रासदी ने बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक तत्परता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब जनता के मन में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिर क्यों चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया, क्यों पुल की नियमित और वैज्ञानिक जांच नहीं हुई, और अगर हुई तो उसके निष्कर्षों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह हादसा सिर्फ एक पुल के गिरने की कहानी नहीं है—यह चेतावनी है कि लापरवाही और देरी की कीमत कभी-कभी इंसानी जान से चुकानी पड़ती है।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

 
 
ChatGPT said:

गुजरात के वडोदरा जिले में गम्भीरा पुल हादसे के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तुरंत एक्शन लेते हुए वडोदरा कलेक्टर से सीधा संवाद किया। उन्होंने घायलों के इलाज की तत्काल व्यवस्था करने, अस्पतालों में आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध कराने और राहत कार्यों के लिए सभी आवश्यक इंतज़ामों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता बिना किसी देरी के मिले।

घटनास्थल पर NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमें भी लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। गोताखोर, नावें, क्रेन और जेसीबी जैसी भारी मशीनरी की मदद से नदी में गिरे वाहनों और लापता लोगों की तलाश जारी है। हालांकि, महिसागर नदी में तेज बहाव और गहराई बचाव कार्य को और चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं।

यह हादसा एक बार फिर से राज्य के बुनियादी ढांचे की जर्जर हालत और समय पर मरम्मत व रखरखाव की अनदेखी को सामने लाता है। विडंबना यह है कि जहां एक ओर सरकार ने भारी ट्रैफिक दबाव को देखते हुए ₹212 करोड़ की लागत से नया पुल मंजूर किया था, वहीं दूसरी ओर मौजूदा पुल की संरचनात्मक मजबूती और नियमित जांच को लेकर लापरवाही सामने आई है।

अब सबकी निगाहें उस जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो चीफ इंजीनियर, ब्रिज डिज़ाइन टीम और निजी विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट तय करेगी कि हादसे के पीछे तकनीकी खामियां, रखरखाव की कमी या अन्य कोई लापरवाही जिम्मेदार है। जनता यह भी देखना चाहती है कि क्या इस त्रासदी के लिए दोषियों को वास्तव में सख्त सजा दी जाएगी या मामला समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा।

thorinaresh615@gmail.com

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