2025 Railways Big Move: CCTV at All Crossings
2025 Railways Big Move: CCTV at All Crossings :- 8 जून को तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के सेम्मनकुप्पम गांव में हुई एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। यहां एक स्कूल वैन और पैसेंजर ट्रेन (नं. 56813) के बीच गेट नंबर 170 पर जोरदार टक्कर हो गई। यह क्रॉसिंग एक मैनुअल, नॉन-इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग थी, जहां पर सुरक्षा व्यवस्था आधुनिक मानकों के मुताबिक नहीं थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा उस वक्त हुआ जब स्कूल वैन चालक ने आने वाली ट्रेन को नजरअंदाज कर पटरियां पार करने की कोशिश की। ट्रेन की रफ्तार और टक्कर की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मौके पर ही तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
इस दर्दनाक घटना के बाद रेलवे प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए। जांच में यह सामने आया कि लेवल क्रॉसिंग पर निगरानी के लिए कोई CCTV कैमरा नहीं था, जिससे न तो पहले से खतरे का आकलन हो सका और न ही बाद में घटना का सटीक विश्लेषण।
घटना की गंभीरता को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने तुरंत एक अहम फैसला लिया है। देशभर की सभी लेवल क्रॉसिंग—चाहे वे मैनुअल हों या ऑटोमैटिक—पर अब CCTV कैमरे लगाए जाएंगे। इसका उद्देश्य न केवल रियल-टाइम निगरानी करना है, बल्कि घटनाओं के कारणों को रिकॉर्ड कर भविष्य में ऐसे हादसों को रोकना भी है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, CCTV नेटवर्क सीधे कंट्रोल रूम से जुड़ा होगा, जिससे गेटमैन, स्टेशन मास्टर और उच्च स्तरीय अधिकारी किसी भी समय फुटेज देख सकेंगे और आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे।
रेलवे का मानना है कि यह कदम सड़क और रेल यातायात के बीच बेहतर तालमेल बनाएगा, साथ ही लोगों में सतर्कता और नियम पालन की आदत को भी बढ़ावा देगा। इसके साथ ही सरकार ने राज्यों को भी निर्देश दिया है कि लेवल क्रॉसिंग के पास स्कूल वैन, बस और अन्य यात्री वाहनों के लिए विशेष सुरक्षा अभियान चलाए जाएं।
इस फैसले से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी त्रासदीपूर्ण घटनाओं को काफी हद तक टाला जा सकेगा और यात्रियों की सुरक्षा के प्रति भरोसा मजबूत होगा।
हादसे की जांच में क्या सामने आया?
रेलवे और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर लापरवाही की ओर इशारा करते हैं।
हादसे के समय ड्यूटी पर मौजूद गेटमैन पंकज शर्मा ने अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से पालन नहीं किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के बाद शुरू हुई पूछताछ में सामने आया कि जब ट्रेन गेट नंबर 170 की ओर आ रही थी, उस समय गेट बंद नहीं किया गया था। इस चूक के कारण स्कूल वैन बेधड़क पटरियां पार करने लगी और पैसेंजर ट्रेन (नं. 56813) से उसकी जोरदार टक्कर हो गई।
जांच टीम को मिले ऑडियो रिकॉर्डिंग में यह स्पष्ट हुआ कि गेटमैन पंकज शर्मा ने रेलवे कंट्रोल को यह गलत सूचना दी थी कि गेट पहले से बंद है। इस झूठे दावे के कारण ट्रेन चालक ने सामान्य गति बनाए रखी और टक्कर को टालने का कोई अतिरिक्त मौका नहीं मिल पाया। रेलवे सूत्रों के अनुसार, यह ऑडियो रिकॉर्डिंग इस पूरे मामले में सबसे अहम सबूत बन गई है।
हादसे के तुरंत बाद जब पंकज शर्मा से सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने अंततः अपनी गलती स्वीकार कर ली और माना कि उसने समय रहते गेट बंद नहीं किया था। इस स्वीकारोक्ति ने मामले को और गंभीर बना दिया है, क्योंकि यह सीधा-सीधा मानव लापरवाही का मामला है, जिसे सही कार्रवाई से टाला जा सकता था।
घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने भी मीडिया से बातचीत में पुष्टि की कि हादसे के वक्त न तो कोई चेतावनी संकेत मौजूद थे और न ही गेट बंद था। कई लोगों ने बताया कि न तो सायरन बजा और न ही किसी ने वाहनों को रुकने के लिए कहा। खुले गेट के कारण वैन चालक ने पटरियां पार करने की कोशिश की और यह जानलेवा टक्कर हो गई।
इस पूरे घटनाक्रम ने रेलवे सुरक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। अब रेलवे विभाग ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं, जिसमें गेटमैन के खिलाफ निलंबन, विभागीय जांच और भविष्य में इस तरह की लापरवाही रोकने के लिए सख्त नियम लागू करना शामिल है। साथ ही, यह भी तय किया गया है कि ऐसे मैनुअल नॉन-इंटरलॉक्ड क्रॉसिंग पॉइंट्स पर आधुनिक अलार्म सिस्टम और CCTV कैमरे तत्काल लगाए जाएंगे, ताकि आने वाले समय में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
चश्मदीदों के बयान
हादसे की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसमें जुड़ी नई जानकारियां इस त्रासदी को और भी दर्दनाक और चौंकाने वाली बना रही हैं। रेलवे और मीडिया रिपोर्ट्स के साथ-साथ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी यह साबित कर रहे हैं कि सुरक्षा व्यवस्था में न केवल तकनीकी कमी थी, बल्कि ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी की लापरवाही भी इस घटना का बड़ा कारण बनी।
टक्कर के वक्त स्कूल वैन चला रहे ड्राइवर शंकर ने मीडिया से बातचीत में बताया, “गेट खुला था, कोई हॉर्न नहीं बजा, और न ही वहां कोई रेलवे कर्मचारी नजर आया।” उन्होंने कहा कि अगर गेट बंद होता या समय पर चेतावनी मिलती, तो वह वैन को पटरियों के पास ले जाने से पहले रुक जाते।
इसी तरह, वैन में सवार 16 वर्षीय छात्र विष्वेश ने बताया, “हमने सोचा कि ट्रेन निकल चुकी है, क्योंकि गेट खुला था और कोई रुकने का संकेत नहीं था।” विष्वेश का यह बयान साफ करता है कि मौके पर मौजूद संकेत और सुरक्षा नियम पूरी तरह नदारद थे।
सबसे गंभीर खुलासा यह हुआ कि गेटमैन पंकज शर्मा उस समय अपनी ड्यूटी पर मौजूद होते हुए भी गहरी नींद में था। गांव वालों के अनुसार, हादसे के बाद जब अफरा-तफरी मची और लोग मदद के लिए दौड़े, तो उन्होंने गेटमैन को पास के शेड में सोते हुए पाया। गुस्साए ग्रामीणों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। यह खुलासा पूरे मामले को एक गंभीर मानव-जनित लापरवाही के रूप में सामने लाता है, जिसे उचित सतर्कता और जिम्मेदारी से रोका जा सकता था।
रेलवे प्रशासन ने इस घटना को “अत्यधिक गंभीर लापरवाही” करार देते हुए पंकज शर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। न केवल उसका निलंबन तय माना जा रहा है, बल्कि विभागीय जांच में अगर आरोप पुख्ता हुए तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। साथ ही, रेलवे ने घोषणा की है कि इस तरह की मैनुअल, नॉन-इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग्स पर अब तत्काल प्रभाव से CCTV कैमरे, ऑटोमैटिक अलार्म सिस्टम और बेहतर ट्रेन-वाहन संचार व्यवस्था लागू की जाएगी, ताकि आने वाले समय में किसी भी मासूम की जान इस तरह की लापरवाही के कारण न जाए।
हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा निर्देश
9 जुलाई को तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में स्कूल वैन और पैसेंजर ट्रेन के बीच हुई भीषण टक्कर जैसी घटनाओं को रोकने और रेलवे सुरक्षा मानकों को और सख्त बनाने के उद्देश्य से, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक उच्च स्तरीय रेलवे सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों, ज़ोनल रेलवे के महाप्रबंधकों, और सुरक्षा विभाग के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
बैठक में पिछले हादसों के कारणों, मौजूदा सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमियों, और भविष्य में अपनाए जाने वाले आधुनिक तकनीकी समाधानों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके बाद 11 अहम फैसले लिए गए, जिनका लक्ष्य न केवल दुर्घटनाओं को रोकना है, बल्कि रियल-टाइम निगरानी और जवाबदेही को भी मजबूत करना है।
बैठक में लिए गए 11 महत्वपूर्ण फैसले इस प्रकार हैं:
सभी लेवल क्रॉसिंग पर CCTV कैमरे लगेंगे — मैनुअल और ऑटोमैटिक, दोनों तरह की क्रॉसिंग पर हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे लगाए जाएंगे, जो कंट्रोल रूम से सीधे जुड़े होंगे।
नॉन-इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग का चरणबद्ध उन्मूलन — आने वाले वर्षों में सभी नॉन-इंटरलॉक्ड क्रॉसिंग को या तो इंटरलॉक्ड सिस्टम में बदला जाएगा या ओवरब्रिज/अंडरपास से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
ऑटोमैटिक अलार्म और सायरन सिस्टम — ट्रेन के 1 किमी दूर पहुंचने पर गेट के पास अलार्म अपने-आप बजना शुरू होगा।
गेटमैन की रियल-टाइम लोकेशन मॉनिटरिंग — गेटमैन को GPS-सक्षम डिवाइस दिए जाएंगे, जिससे कंट्रोल रूम उनकी लोकेशन और गतिविधि देख सकेगा।
गेटमैन के लिए अनिवार्य ऑडियो-वीडियो कॉल लॉग — गेट बंद करने की पुष्टि केवल वीडियो कॉल पर होगी, ताकि कोई गलत सूचना न दी जा सके।
स्कूल वैन और बस चालकों के लिए रेलवे क्रॉसिंग सुरक्षा प्रशिक्षण — जिला प्रशासन और रेलवे मिलकर विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेंगे।
गेट के पास फ्लैशिंग LED सिग्नल लाइट्स — खराब मौसम या धुंध में भी दूर से ट्रेन के आने का संकेत दिखेगा।
मैनुअल गेट के पास सुरक्षा प्रहरी की डबल ड्यूटी — भीड़भाड़ वाले समय में एक अतिरिक्त कर्मचारी तैनात होगा।
ट्रेन ड्राइवरों के लिए एडवांस वार्निंग सिस्टम — गेट बंद न होने की स्थिति में ड्राइवर को ऑटोमैटिक चेतावनी मिलेगी और ट्रेन की गति नियंत्रित होगी।
गंभीर लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी — हादसों के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों पर निलंबन के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई अनिवार्य होगी।
जनजागरूकता अभियान — रेलवे क्रॉसिंग सुरक्षा पर टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया और गांव-गांव में पोस्टर-बैनर के जरिए जागरूकता फैलाई जाएगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के अंत में कहा कि “रेलवे में सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी।”
1. सभी लेवल क्रॉसिंग्स पर CCTV कैमरे लगेंगे:
रेलवे सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अब सभी लेवल क्रॉसिंग पर जो CCTV कैमरे लगाए जाएंगे, वे सिर्फ निगरानी ही नहीं करेंगे बल्कि रिकॉर्डिंग सिस्टम से भी लैस होंगे। इसका मतलब है कि हर घटना, चाहे वह छोटी हो या बड़ी, ऑटोमैटिक रूप से रिकॉर्ड होगी और जरूरत पड़ने पर जांच के लिए फुटेज उपलब्ध रहेगा।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इन कैमरों को 24×7 चालू रखने के लिए पावर सप्लाई की तीन-स्तरीय व्यवस्था की जाएगी—
सोलर पैनल: दिन के समय कैमरे को चलाने के साथ-साथ बैटरी चार्ज करेंगे।
बैटरी बैकअप: रात में या धूप न होने पर बिजली की आपूर्ति बनाए रखेगा।
UPS (अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई): अचानक बिजली कटने पर भी कैमरे बंद नहीं होंगे और रिकॉर्डिंग जारी रहेगी।
यह व्यवस्था खासकर उन ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में कारगर होगी, जहां बिजली की आपूर्ति नियमित नहीं रहती। इससे न केवल निगरानी प्रणाली लगातार सक्रिय रहेगी, बल्कि किसी तकनीकी खराबी या बिजली कटौती के कारण सुरक्षा में कोई कमी भी नहीं आएगी।
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2. इंटरलॉकिंग सिस्टम का विस्तार:
रेलवे सुरक्षा मानकों को और सख्त करते हुए अब यह तय किया गया है कि 10,000 TVU (Train Vehicle Unit) से अधिक ट्रैफिक वाले सभी लेवल क्रॉसिंग गेट को अनिवार्य रूप से इंटरलॉक्ड सिस्टम में बदला जाएगा।
पहले यह सीमा 20,000 TVU थी, यानी केवल उन गेटों पर इंटरलॉकिंग अनिवार्य थी, जहां ट्रेन और सड़क वाहनों का संयुक्त ट्रैफिक 20,000 यूनिट से अधिक होता था। लेकिन अब नई नीति के तहत यह सीमा घटाकर आधी कर दी गई है, जिससे देशभर में हजारों अतिरिक्त क्रॉसिंग इंटरलॉक्ड श्रेणी में आ जाएंगी।
इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग का मतलब है कि गेट और सिग्नल सिस्टम एक-दूसरे से जुड़े होंगे। जब तक गेट पूरी तरह बंद नहीं होगा, तब तक ट्रेन के लिए हरा सिग्नल नहीं मिलेगा, और ट्रेन की गति अपने आप नियंत्रित रहेगी। इससे मानवीय लापरवाही की संभावना काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से न केवल हादसों की संख्या में भारी कमी आएगी, बल्कि ट्रेन और सड़क यातायात का समन्वय भी बेहतर होगा। खासकर भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और स्कूल, बाजार, औद्योगिक जोन के पास स्थित क्रॉसिंग पर यह तकनीक बेहद कारगर साबित होगी।
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3. नॉन-इंटरलॉक्ड गेट्स पर निगरानी:
हादसे के बाद अब मामला सिर्फ रेलवे सुरक्षा और लापरवाही तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह रेलवे और तमिलनाडु सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोपका रूप ले चुका है। दोनों पक्ष इस त्रासदी की जिम्मेदारी को लेकर एक-दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जिस लेवल क्रॉसिंग पर यह हादसा हुआ, वहां रेलवे फंड से एक अंडरपास प्रोजेक्ट पहले ही प्रस्तावित था, ताकि सड़क और रेल यातायात को अलग किया जा सके और इस तरह के टकराव से बचा जा सके। लेकिन, रेलवे का आरोप है कि यह प्रोजेक्ट जिला प्रशासन से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अटका हुआ था। अधिकारियों का कहना है कि अगर अंडरपास बन गया होता, तो यह घटना टाली जा सकती थी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कुड्डालोर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सिबी आदित्य ने मीडिया से कहा कि वे रेलवे के दावे की जांच कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि, “हमारी प्राथमिकता अभी पीड़ित परिवारों की मदद करना है, न कि आरोप-प्रत्यारोप में उलझना।” कलेक्टर ने यह भी बताया कि इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा देने और घायलों का इलाज कराने की प्रक्रिया तेज़ी से जारी है।
जानकारों का मानना है कि यह विवाद आने वाले समय में और गहराएगा, क्योंकि अगर मंजूरी में देरी की पुष्टि होती है तो जिला प्रशासन पर सवाल उठेंगे, वहीं अगर रेलवे का दावा गलत पाया गया तो सुरक्षा इंतजामों की कमी के लिए रेलवे को जवाबदेह ठहराया जाएगा। फिलहाल, इस मुद्दे की सच्चाई जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगी।
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मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा:
इस दर्दनाक हादसे के बाद पीड़ित परिवारों की आर्थिक सहायता के लिए रेलवे और राज्य प्रशासन ने मुआवजे की घोषणा की है। अधिकारियों के अनुसार, मृतकों और घायलों को उनकी स्थिति के अनुसार अलग-अलग वित्तीय मदद दी जाएगी, ताकि वे इस कठिन समय में कुछ राहत पा सकें।
मुआवजे की राशि इस प्रकार तय की गई है:
मृतकों के परिजनों को: ₹5 लाख
गंभीर रूप से घायलों को: ₹1 लाख
मामूली चोटिलों को: ₹50,000
रेलवे ने यह भी आश्वासन दिया है कि मुआवजे की राशि जल्द से जल्द सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इसके अलावा, राज्य सरकार ने भी पीड़ित परिवारों को अतिरिक्त सहायता और मुफ्त इलाज मुहैया कराने की घोषणा की है।
अधिकारियों का कहना है कि आर्थिक मदद से परिवारों का दुख पूरी तरह कम नहीं हो सकता, लेकिन यह उनके पुनर्वास और इलाज में जरूर सहायक होगी।
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रेलवे द्वारा:
इस दर्दनाक हादसे के बाद पीड़ितों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए रेलवे और राज्य प्रशासन ने नई मुआवजा राशि तय की है।
मुआवजे का विवरण इस प्रकार है:
मृतकों के परिजनों को: ₹5 लाख
गंभीर रूप से घायलों को: ₹2.5 लाख
मामूली चोटिलों को: ₹50,000
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि मुआवजे की राशि जल्द से जल्द सीधे पीड़ित परिवारों और घायलों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी, ताकि आर्थिक मदद में कोई देरी न हो। साथ ही, गंभीर घायलों के इलाज का पूरा खर्च रेलवे और राज्य सरकार वहन करेगी।
अधिकारियों का मानना है कि यह आर्थिक सहायता परिवारों के दुख को पूरी तरह कम तो नहीं कर सकती, लेकिन पुनर्वास और उपचार में निश्चित रूप से मददगार साबित होगी।
आंकड़े और भविष्य की योजना
ChatGPT said:
रेलवे सुरक्षा पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल 2024 तक देश में कुल 17,083 मैनुअल लेवल क्रॉसिंग्स मौजूद थीं। इन क्रॉसिंग्स पर मानवीय लापरवाही और तकनीकी कमी के कारण हर साल कई हादसे होते हैं। इसी को देखते हुए रेलवे लगातार मैनुअल क्रॉसिंग्स को समाप्त कर आधुनिक और सुरक्षित विकल्पों से बदलने की दिशा में काम कर रहा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 497 मैनुअल लेवल क्रॉसिंग्स खत्म की जा चुकी हैं, जिन्हें या तो बंद कर दिया गया है, या फिर फ्लाईओवर, अंडरपास, इंटरलॉकिंग सिस्टम या अन्य सुरक्षित विकल्पों में बदला गया है।
रेलवे का दीर्घकालिक लक्ष्य है कि साल 2030 तक देश की सभी लेवल क्रॉसिंग्स को पूरी तरह ग्रेड सेपरेटर (ROB — Road Over Bridge / RUB — Road Under Bridge) में बदल दिया जाए। इस बदलाव के बाद सड़क और रेल यातायात एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हो जाएंगे, जिससे टकराव की संभावना खत्म होगी और सुरक्षा मानक अंतरराष्ट्रीय स्तर के हो जाएंगे।
इसके लिए रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹706 करोड़ का बजट विशेष रूप से लेवल क्रॉसिंग्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए और ₹7,000 करोड़ का बजट ROBs और RUBs के निर्माण के लिए आवंटित किया है। इस बजट का इस्तेमाल न केवल नई परियोजनाओं पर होगा, बल्कि पुरानी क्रॉसिंग्स के उन्नयन और मौजूदा अधूरी परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने पर भी किया जाएगा।
अधिकारियों का मानना है कि इस रणनीति से आने वाले वर्षों में न केवल हादसों में भारी कमी आएगी, बल्कि ट्रेन संचालन की गति और दक्षता में भी उल्लेखनीय सुधार होगा।
आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
रेलवे ने हालिया हादसों और सुरक्षा खामियों को देखते हुए पूरे देश में 15-दिन का सेफ्टी इंस्पेक्शन ड्राइव शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य सभी लेवल क्रॉसिंग्स और संवेदनशील सुरक्षा बिंदुओं की गहन जांच करना, वहां मौजूद खामियों की पहचान करना और उन्हें तुरंत दूर करना है।
अधिकारियों के मुताबिक, इस ड्राइव के तहत ट्रैक, गेट, सिग्नल सिस्टम, चेतावनी संकेत, और कर्मचारी तैनाती जैसी सभी महत्वपूर्ण बातों का निरीक्षण किया जाएगा। खासतौर पर सड़क-रेल क्रॉसिंग पर नियमों के अनुपालन और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर रहेगा।
इस ड्राइव के हिस्से के रूप में स्पीड ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड्स का स्टैंडर्डाइजेशन किया जाएगा, ताकि हर जगह उनका डिजाइन, आकार, रंग और संदेश एक जैसा हो। इससे ड्राइवरों और पैदल यात्रियों को दूरी से ही स्पष्ट चेतावनी मिल सकेगी और भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी।
इसके अलावा, रेलवे ने देशभर के सभी संवेदनशील गेट्स की एक अलग सूची बनाने का फैसला किया है। इन गेट्स पर अतिरिक्त सुरक्षा के लिए RPF (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) और होम गार्ड की तैनाती की जाएगी, खासकर भीड़भाड़ के समय और स्कूल/ऑफिस के पीक आवर्स में। इससे मानवीय लापरवाही, अवैध पारगमन और अनावश्यक जोखिम लेने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
रेलवे का मानना है कि इन कदमों से न केवल हादसों में कमी आएगी, बल्कि आम जनता में रेलवे क्रॉसिंग सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में 8 जून को हुई यह दर्दनाक ट्रेन हादसा न केवल तीन मासूम जिंदगियों को निगल गया, बल्कि इसने भारत की रेलवे सुरक्षा प्रणाली की खामियों को भी बेनकाब कर दिया। स्कूल वैन और पैसेंजर ट्रेन (नं. 56813) के बीच मैनुअल, नॉन-इंटरलॉक्ड लेवल क्रॉसिंग पर हुई टक्कर ने दिखा दिया कि अभी भी कई स्थानों पर तकनीकी और मानव-जनित लापरवाही बड़ी त्रासदियों का कारण बन सकती है।
हादसे के बाद सामने आई जांच रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि मौके पर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ। गेटमैन ड्यूटी के दौरान सो रहा था, गेट बंद नहीं किया गया, न ही चेतावनी संकेत या हॉर्न बजाया गया। ग्रामीणों ने गेटमैन को पकड़कर पुलिस के हवाले किया, जबकि रेलवे रिकॉर्ड में पहले झूठा दावा किया गया था कि गेट बंद था।
इस घटना ने रेलवे और तमिलनाडु सरकार के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप को जन्म दिया। रेलवे का कहना है कि इस स्थान पर रेलवे फंड से अंडरपास बनाने का प्रोजेक्ट लंबित था, जिसे जिला प्रशासन से मंजूरी नहीं मिली। वहीं, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सिबी आदित्य ने कहा कि वे इन दावों की जांच कर रहे हैं और उनकी प्राथमिकता फिलहाल पीड़ित परिवारों की मदद करना है।
हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरक्षा समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें 11 बड़े फैसले लिए गए—जिनमें सभी लेवल क्रॉसिंग्स पर CCTV कैमरे, रिकॉर्डिंग सिस्टम, सोलर पावर बैकअप, और इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाना शामिल है। पहले 20,000 TVU से ज्यादा ट्रैफिक वाले गेट पर इंटरलॉकिंग अनिवार्य थी, लेकिन अब यह सीमा घटाकर 10,000 TVU कर दी गई है। इसके अलावा, 15-दिन का सेफ्टी इंस्पेक्शन ड्राइव, स्पीड ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड्स का स्टैंडर्डाइजेशन, और संवेदनशील गेट्स पर RPF/होम गार्ड की तैनाती का भी निर्णय लिया गया है।
रेलवे ने 1 अप्रैल 2024 तक मौजूद 17,083 मैनुअल लेवल क्रॉसिंग्स को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। 2024-25 में अब तक 497 क्रॉसिंग्स हटाई जा चुकी हैं। लक्ष्य है कि 2030 तक सभी लेवल क्रॉसिंग्स को ग्रेड सेपरेटर (ROB/RUB) से बदला जाए। इसके लिए ₹706 करोड़ लेवल क्रॉसिंग सुरक्षा और ₹7,000 करोड़ ROB/RUB निर्माण के लिए आवंटित किए गए हैं।
पीड़ित परिवारों को मुआवजे के रूप में मृतकों के लिए ₹5 लाख, गंभीर घायलों के लिए ₹2.5 लाख और मामूली घायलों के लिए ₹50,000 दिए जाएंगे। गंभीर घायलों के इलाज का पूरा खर्च रेलवे और राज्य सरकार वहन करेगी।
यह तमिलनाडु हादसा स्पष्ट रूप से बताता है कि तकनीकी सुधार, आधुनिक उपकरण, और नीतिगत फैसले तभी असरदार होंगे जब उनका सही क्रियान्वयन और निरंतर निगरानी की जाएगी। हर यात्री और नागरिक की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन, कर्मचारियों और जनता—सभी का सतर्क और जिम्मेदार रहना जरूरी है।
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