OK Jaanu Flop: 39.3 Cr कमाई पर करण जौहर का खुलासा

OK Jaanu Flop: 39.3 Cr कमाई पर करण जौहर का खुलासा

OK Jaanu Flop: 39.3 Cr कमाई पर करण जौहर का खुलासा :- करण जौहर आज भारतीय सिनेमा के सबसे चहेते और सफल फिल्ममेकर माने जाते हैं। ‘कुछ कुछ होता है’ से लेकर ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ तक, उन्होंने बॉलीवुड को कई आइकॉनिक फिल्में दी हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि करण जौहर का पहला सपना फिल्ममेकर बनना नहीं था।

जी हां, फिल्मों में आने से पहले करण का सपना एक फैशन डिज़ाइनर बनने का था। उन्होंने पेरिस जाकर डिज़ाइनिंग की पढ़ाई करने की भी योजना बना ली थी। करण हमेशा से ग्लैमर, रंगों और स्टाइल के दीवाने रहे हैं, और यही वजह थी कि वह फैशन इंडस्ट्री को अपना भविष्य मान बैठे थे।

लेकिन फिर आया ज़िंदगी में वो मोड़ जिसने सब कुछ बदल दिया…

ये कहानी है 90 के दशक की, जब करण जौहर और आदित्य चोपड़ा ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (DDLJ)’ पर साथ काम कर रहे थे। करण उस वक्त बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर इस प्रोजेक्ट से जुड़े थे। उनका नजरिया, उनकी सिनेमैटिक समझ और लोगों से जुड़ने की क्षमता देखकर आदित्य चोपड़ा ने उनसे कहा:

“तुम फिल्मों के लिए बने हो, फैशन नहीं!”

करण आज भी उस पल को बेहद इमोशनल होकर याद करते हैं। वे मानते हैं कि यह एक ऐसा टर्निंग पॉइंट था, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। यही वो मोड़ था जहां उन्होंने अपने फैशन डिज़ाइनिंग के सपने को अलविदा कहा और कैमरे के पीछे की दुनिया में कदम रखा।


OK Jaanu की असफलता और करण जौहर का आत्मचिंतन

अब आते हैं ‘OK Jaanu’ पर — साल 2017 में रिलीज़ हुई यह फिल्म, जो आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर स्टारर थी, बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी। कुल कमाई सिर्फ ₹39.3 करोड़ रही, जो करण जौहर की उम्मीदों से काफी कम थी।

हाल ही में एक इंटरव्यू में करण जौहर ने स्वीकार किया कि OK Jaanu की नाकामी ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने कहा:

“हर फिल्म हिट नहीं हो सकती। OK Jaanu का फ्लॉप होना मेरे लिए एक रिमाइंडर था कि दर्शकों की नब्ज को समझना ज़रूरी है। हम जो सोचते हैं वो हमेशा सही नहीं होता।”

यह करण जौहर के लिए एक सीखने का अवसर था। उन्होंने माना कि रीमेक बनाते वक्त भारतीय दर्शकों की भावनात्मक गहराई को समझना बेहद ज़रूरी है। OK Jaanu, तमिल फिल्म ‘ओके कनमणि’ की हिंदी रीमेक थी, लेकिन वह वही जादू हिंदी में नहीं दोहरा सकी।


धर्मा प्रोडक्शंस और करण की दूसरी पारी

हालांकि OK Jaanu एक असफल फिल्म रही, लेकिन करण जौहर ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने इससे सबक लिया और आगे चलकर कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं — जैसे ‘राज़ी’, ‘गुड़ न्यूज़’, ‘शेरशाह’ और हाल ही में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’।

वह कहते हैं:

“हर फ्लॉप फिल्म मेरे अंदर की आग को और भड़काती है। अगर एक फिल्म नहीं चलती, तो मैं अगली को दोगुनी मेहनत से बनाता हूं।”


करण जौहर की कहानी: एक अधूरे सपने से सुपरस्टार डायरेक्टर बनने तक

करण जौहर की जर्नी सिर्फ फिल्मों की नहीं है, बल्कि सपनों के सच होने की कहानी है। एक ऐसा लड़का जो फैशन डिजाइनिंग के ख्वाब लेकर पेरिस जाना चाहता था, लेकिन आज हिंदुस्तान के सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो का मालिक है।

उनकी ज़िंदगी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी असफलताएं भी रास्ता दिखाती हैं। OK Jaanu भले ही फ्लॉप हुई, लेकिन करण जौहर का आत्मविश्लेषण और फिर से उठ खड़े होने का जज़्बा ही उन्हें खास बनाता है।

करण जौहर का करियर सिर्फ ग्लैमर, स्टार्स और सुपरहिट फिल्मों का नहीं है — यह हार मानने से इनकार करने की कहानी है। उन्होंने हर नाकामी को एक नए अध्याय की शुरुआत की तरह लिया।

OK Jaanu फ्लॉप हुई, लेकिन उससे जो सबक मिला, वही आने वाली हिट फिल्मों की नींव बना। और यही करण जौहर की सबसे बड़ी ताकत है — वो कभी रुकते नहीं, सिर्फ सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं।


अगर आप भी किसी सपने को लेकर कंफ्यूज़ हैं या कोई असफलता झेल रहे हैं, तो करण जौहर की ये कहानी आपको जरूर प्रेरणा देगी — कभी-कभी अधूरा सपना ही असली मुकाम तक पहुंचाता है।

Jay Shetty Podcast पर करण का खुलासा

फिल्म निर्माता करण जौहर न सिर्फ अपने स्टाइल, ग्लैमर और डायरेक्शन के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनके जीवन के अनुभव भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हाल ही में जब करण जौहर प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर Jay Shetty के पॉडकास्ट में शामिल हुए, तो उन्होंने अपनी जिंदगी के एक बेहद अहम मोड़ को साझा किया — एक ऐसा किस्सा जिसने उनके करियर, सोच और आत्मविश्वास को पूरी तरह बदल दिया।

इस बातचीत के दौरान करण ने बड़ी सादगी लेकिन गहराई से कहा:

“Instincts हमारी सुपरपावर होती हैं। जब हम उन्हें नजरअंदाज करते हैं, तो हम अपनी उस ताकत को धोखा दे रहे होते हैं।”

जब ज़िंदगी ने बदला रास्ता — और शुरू हुई नई कहानी

करण ने इस बात का ज़िक्र किया कि कैसे आदित्य चोपड़ा ने एक दिन उनके अंदर छिपे फिल्ममेकर को पहचान लिया। उस समय करण खुद को एक फैशन डिज़ाइनर के रूप में देख रहे थे — उनका सपना था पेरिस जाकर डिज़ाइनिंग की पढ़ाई करना, दुनिया के बेस्ट फैशन ब्रांड्स के लिए काम करना और एक ग्लोबल डिज़ाइनर बनना।

लेकिन फिर फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (DDLJ) के सेट पर कुछ ऐसा हुआ जिसने सब कुछ बदल दिया।

करण ने बताया कि जब वह बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा के साथ DDLJ पर काम कर रहे थे, तब आदित्य ने एक दिन उनसे कहा:

“करण, तुम फैशन नहीं, फिल्मों के लिए बने हो। तुम्हारी आंखों में कैमरे की समझ है, तुम्हारे अंदर कहानी कहने की कला है।”

इस वाक्य ने करण को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने बताया कि उस दिन पहली बार उन्होंने अपनी gut feeling को गंभीरता से सुनना शुरू किया।


Instincts से कैसे बदलती है ज़िंदगी?

करण का मानना है कि हमारी आंतरिक आवाज (gut instinct) हमेशा हमें सही रास्ता दिखाती है, लेकिन हम अक्सर लॉजिक, समाज या डर के कारण उसे नजरअंदाज कर देते हैं।

उन्होंने Jay Shetty को बताया कि अब वो अपने करियर में जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं — चाहे वो किसी नए एक्टर को लॉन्च करना हो, किसी स्क्रिप्ट को हां या ना कहना हो, या फिर एक नए डायरेक्टर को मौका देना हो — वो सबसे पहले अपने अंदर की आवाज़ सुनते हैं।

“मैंने जब आलिया भट्ट को पहली बार देखा, या सिद्धार्थ मल्होत्रा को कैमरे के पीछे काम करते हुए देखा, मेरी gut ने कहा – ये स्टार्स बनेंगे। आज वो वही हैं।”


नए टैलेंट को चुनने में Instincts की भूमिका

करण मानते हैं कि टैलेंट को आंकड़ों या रेस्यूमे से नहीं मापा जा सकता। असली पहचान आभास (instinct) से होती है।

उन्होंने बताया कि धर्मा प्रोडक्शंस में कई बार उन्होंने ऐसे कलाकारों और डायरेक्टर्स को मौके दिए, जिनके पास कोई ‘बड़ा नाम’ या ‘फिल्मी बैकग्राउंड’ नहीं था। लेकिन उनकी आँखों में एक चमक, एक जुनून और एक ऊर्जा थी, जिसे करण ने महसूस किया — और बस उसी instinct पर भरोसा करके उन्होंने उन्हें मौका दिया।

“हर बार जब मैंने अपनी instinct को फॉलो किया, मुझे कभी पछताना नहीं पड़ा।”


एक पॉडकास्ट, एक सीख – अपने अंदर की आवाज को पहचानो

Jay Shetty के पॉडकास्ट पर करण जौहर की यह बातचीत सिर्फ फिल्मी दुनिया के अनुभव तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा है, जो ज़िंदगी के किसी मोड़ पर खड़ा है और फैसला नहीं कर पा रहा।

करण का संदेश साफ था:

“आपका दिल, आपकी फीलिंग, आपकी gut – यह सब आपकी सबसे बड़ी ताकतें हैं। उन्हें सुनो, उन्हें अपनाओ। क्योंकि जब आप खुद को सुनते हैं, तभी दुनिया भी आपको सुनती है।”

करण जौहर की यह कहानी सिर्फ एक सफल फिल्ममेकर की कहानी नहीं है — यह एक इंसान की आत्म-खोज (self-discovery) की यात्रा है। एक ऐसा इंसान जिसने अपने पहले प्यार — फैशन डिज़ाइनिंग — को छोड़कर एक नई राह चुनी, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके अंदर की आवाज़ ने उसे कहा, “यही तुम्हारा रास्ता है।”

Jay Shetty के पॉडकास्ट पर करण की बातें हर उस युवा के लिए एक मिसाल हैं, जो अपने पैशन और प्रैक्टिकल लाइफ के बीच उलझा हुआ है।

कभी-कभी सबसे बड़ा गुरु हमारे अंदर ही होता है — बस उसे सुनने की हिम्मत चाहिए।

करण का गट फीलिंग वाला फॉर्मूला

करण जौहर को जितना एक बेहतरीन फिल्ममेकर के तौर पर जाना जाता है, उतना ही वह एक शानदार टैलेंट स्पॉटर के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने बॉलीवुड में ऐसे कई नामों को लॉन्च किया है, जो आज इंडस्ट्री के टॉप फिल्ममेकर और स्टार्स की लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन क्या ये सब सिर्फ भाग्य था? नहीं — करण मानते हैं कि यह सब उनकी एक खास शक्ति का नतीजा था: उनकी गट फीलिंग।

Jay Shetty के पॉडकास्ट पर बातचीत के दौरान करण ने कहा:

“जब भी मैं किसी नए इंसान से मिलता हूं, मेरी gut feeling तुरंत मुझे बता देती है कि क्या ये इंसान कुछ बड़ा कर सकता है या नहीं।”

उन्होंने यह बात पूरी ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ कही। उनका मानना है कि इंसान का पहला इम्प्रेशन, उसकी एनर्जी और बातचीत का तरीका बहुत कुछ बता देता है — और वो उसी वक़्त समझ जाते हैं कि सामने वाला शख्स कितनी दूर जा सकता है।


“मैंने सिर्फ महसूस किया” – जब करण ने अनुभव से ज्यादा एहसास पर भरोसा किया

इस बात को समझाने के लिए करण ने कुछ बेहद दिलचस्प और प्रेरक उदाहरण शेयर किए — खासतौर पर तीन टैलेंटेड फिल्ममेकर्स के:
अयान मुखर्जी, शकुन बत्रा, और शशांक खेतान

इन तीनों ही नामों को जब करण ने पहली बार मौका दिया, तब उनके पास कोई बड़ी हिट फिल्म नहीं थी, न ही लंबा अनुभव। लेकिन करण की gut feeling कहती थी कि इनमें दम है।

“जब अयान मेरे पास आया था, वो मेरी असिस्टेंटशिप कर रहा था। एक दिन मैंने उससे कहा – ‘तू फिल्म डायरेक्ट कर।’”

अब सोचिए, एक युवा, कम उम्र का लड़का, जिसने अब तक सिर्फ कुछ सेट पर काम किया है — और करण जैसे सुपरस्टार डायरेक्टर-प्रोड्यूसर उसे कहते हैं कि तुम अपनी फिल्म बनाओ?

लोगों ने सवाल उठाए, टीम ने चिंता जताई, इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने इसे ‘जोखिम’ कहा। लेकिन करण का जवाब था:

“मैंने बस महसूस किया – और यही मेरे लिए काफी था।”

और उस यकीन का नतीजा क्या निकला?

‘Wake Up Sid’ – एक ऐसी फिल्म जो आज भी यंग जेनरेशन की ऑल-टाइम फेवरेट है। रणबीर कपूर की इस फिल्म ने न केवल अयान मुखर्जी को एक भरोसेमंद डायरेक्टर के रूप में स्थापित किया, बल्कि ये करण के उस निर्णय की जीत भी थी, जो उन्होंने सिर्फ अपनी अंदरूनी आवाज़ पर भरोसा करके लिया था।


शकुन बत्रा और शशांक खेतान – नए विज़नरीज़ की खोज

करण ने इसी तरह शकुन बत्रा को मौका दिया, जिनकी फिल्म ‘Ek Main Aur Ekk Tu’ और बाद में ‘Kapoor & Sons’ ने अलग तरह के सिनेमाई एक्सप्रेशन को मुख्यधारा में लाया। करण ने कहा कि शकुन की आँखों में एक अलग कहानी कहने की ललक थी, जिसे उन्होंने पहली मीटिंग में ही पहचान लिया।

इसी तरह, शशांक खेतान, जिनकी फिल्म ‘Humpty Sharma Ki Dulhania’ और फिर ‘Badrinath Ki Dulhania’ हिट रहीं, उन्हें भी करण ने तब मौका दिया जब उनके पास कोई स्टार पॉवर या लंबा अनुभव नहीं था।

“मैंने बस उनकी कहानी सुनते वक़्त महसूस किया कि ये चलेगी। और मैंने उन्हें हां कह दिया।”


करण का नजरिया – टैलेंट को नहीं, इंसान को पहचानो

करण जौहर का मानना है कि “कभी-कभी स्किल्स और एक्सपीरियंस से ज्यादा जरूरी होता है – इंसान का जुनून और उसकी ऊर्जा।”

वे कहते हैं कि जब कोई इंसान दिल से बात करता है, आंखों में भरोसा होता है, और जब उसका सपना उसकी आवाज़ में झलकता है — तभी वो करण की gut feeling को ट्रिगर करता है।

“हर बार जब मैंने आंकड़ों पर नहीं, एहसास पर भरोसा किया – मुझे उसका फल ज़रूर मिला।”

सीखें करण जौहर से – भरोसा करें अपनी gut feeling पर

करण जौहर की यह सोच आज उन्हें बॉलीवुड का ‘टैलेंट गुरु’ बनाती है। उन्होंने कई नए नामों को वो मंच दिया, जो शायद उन्हें किसी और के पास नहीं मिलता।

और सबसे बड़ी बात ये है कि करण ने ये सब किया सिर्फ अनुभव के आधार पर नहीं, बल्कि अपनी instinct की ताकत पर।

उनकी ये कहानी हर उस इंसान के लिए एक सीख है जो किसी को मौका देने से पहले सिर्फ रिज़्यूमे, डिग्री या फॉलोअर्स गिनता है। असली प्रतिभा आंकड़ों में नहीं, एहसास में होती है।

जब Instinct ने किया चेतावनी, पर करण ने नहीं सुनी

करण जौहर को उनकी मजबूत gut instinct यानी अंदरूनी आवाज़ के लिए जाना जाता है। वे खुद मानते हैं कि उनके करियर की कई सफलताएं – चाहे वो स्टार्स को लॉन्च करना हो या फिल्मों को ग्रीनलाइट देना – उन्होंने अपने इंस्टिंक्ट के भरोसे ही किया। लेकिन वे उतने ही ईमानदारी से यह भी स्वीकार करते हैं कि हर बार उन्होंने अपनी इस आवाज़ को नहीं सुना।

और जब उन्होंने उसे नजरअंदाज किया, तब उन्हें उसकी कीमत भी चुकानी पड़ी।

OK Jaanu – एक ऐसा फैसला जिसे लेकर मन में था संदेह

करण जौहर ने Jay Shetty के पॉडकास्ट पर बड़ी खुलकर बात की कि कैसे उन्होंने फिल्म OK Jaanu को बनाते समय अपने भीतर उठ रहे सवालों को अनदेखा किया।

“उस वक्त आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर की जोड़ी सुपरहिट थी Aashiqui 2 में। दोनों ने फिल्म के लिए हां कह दिया था। OK Kanmani एक हिट तमिल फिल्म थी, और डायरेक्टर शाद अली जैसे अनुभवी नाम जुड़े हुए थे। सब कुछ परफेक्ट लग रहा था।”

बाहर से देखा जाए तो OK Jaanu एक “safe bet” लग रही थी – एक हिट जोड़ी, एक सफल रीमेक, और एक स्थापित निर्देशक। हर वो बॉक्स टिक हो रहा था जो एक फिल्म को हिट बना सकता था। लेकिन करण के मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा था — एक ऐसा सवाल जिसे उन्होंने नज़रअंदाज़ कर दिया।

“मेरे मन में कहीं न कहीं ये सवाल लगातार उठ रहा था – क्या उस पल को, उस जादू को जो OK Kanmani में था, दोहराया जा सकता है? क्या हिंदी दर्शक उस भावनात्मक गहराई से जुड़ पाएंगे?”


Instinct vs Logic – और नतीजा?

करण जौहर ने बताया कि फिल्म की प्लानिंग के दौरान उन्होंने एक logical और practical दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने यह नहीं देखा कि उनका दिल क्या कह रहा है, बल्कि ये देखा कि बॉक्स ऑफिस की गणना क्या कहती है

“मेरी gut बार-बार मुझे धीमे स्वर में रोक रही थी। लेकिन मैंने शोर सुना – कास्टिंग का, प्रोडक्शन का, मार्केटिंग का। और मैंने उस अंदर की आवाज़ को चुप करा दिया।”

फिल्म बनी, रिलीज़ हुई… और परिणाम?

OK Jaanu बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई। ₹27 करोड़ के बजट में बनी फिल्म ने कुल मिलाकर ₹39.3 करोड़ की कमाई की, जो कि उम्मीदों से बहुत कम थी। दर्शकों का रिएक्शन फीका रहा, और क्रिटिक्स ने भी फिल्म को औसत या उससे कम रेटिंग दी।


करण की ईमानदारी: “यह मेरी सीख थी”

करण इस अनुभव को छुपाते नहीं, बल्कि इसे खुलकर स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि यह एक ऐसा सबक था जिसने उन्हें और भी अधिक सजग बना दिया।

“उस फिल्म ने मुझे सिखाया कि Instinct सिर्फ तब काम नहीं आती जब कुछ नया करना हो, बल्कि तब भी, जब सब कुछ ‘सही’ लग रहा हो लेकिन अंदर से कुछ अधूरा सा महसूस हो।”

वे कहते हैं कि अनुभव के साथ-साथ “भीतर की आवाज़” को भी मान देना ज़रूरी है। सिर्फ आंकड़ों और पुराने ट्रेंड्स के आधार पर फिल्में नहीं बनाई जा सकतीं।


OK Jaanu: एक फ्लॉप, लेकिन एक दिशा देने वाला मोड़

हालांकि OK Jaanu कमाई के मामले में एक मामूली हिट की तरह दिख सकती है (39.3 करोड़), लेकिन सच्चाई यह थी कि यह फिल्म करण के करियर में एक कमजोर कड़ी रही। यह वह प्रोजेक्ट था जिसे बनाने से पहले उनका मन उन्हें लगातार रोक रहा था।

और यहीं से करण ने अपने लिए एक नया नियम बना लिया:

“अब मैं कभी अपनी Instinct को नज़रअंदाज़ नहीं करूंगा। भले ही पूरी टीम कुछ और कह रही हो, अगर मेरा दिल ना कहे – तो मैं रुक जाऊंगा।”


एक गहरी सीख हर क्रिएटर के लिए

करण जौहर की यह कहानी सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री के लिए नहीं है – यह हर उस इंसान के लिए है जो रोज़ाना अपने भीतर की आवाज़ और बाहरी दुनिया के शोर के बीच उलझा रहता है।

  • कभी-कभी हमें gut feeling ऐसी चीज़ें दिखा देती है, जो कोई रिपोर्ट या डेटा नहीं दिखा सकता।

  • कभी-कभी “perfect plan” भी emotional connect के बिना विफल हो सकता है।

  • और सबसे जरूरी बात — कभी खुद को मत अनदेखा करो।

Instinct की अनदेखी = आत्म-धोखा

करण जौहर ने OK Jaanu से जो सबसे बड़ी सीख ली, वो यही थी कि कभी अपने मन की आवाज़ को हल्के में मत लो। उस फिल्म ने उन्हें एक बार फिर याद दिलाया कि उनकी सबसे बड़ी ताकत कोई बिजनेस मॉडल या स्टार कास्ट नहीं है — बल्कि उनका खुद पर भरोसा है।

और यही भरोसा है, जिसने उन्हें एक फ्लॉप फिल्म से निकलकर दोबारा हिट फिल्मों की कतार तक पहुंचा दिया।


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“किसी की गलती नहीं थी” – करण की ईमानदारी

करण कहते हैं, “इसमें किसी की गलती नहीं थी। डायरेक्टर, एक्टर्स, सबने अपना काम अच्छे से किया। लेकिन सच कहूं, तो मेरे दिल में कहीं था कि ये फिल्म शायद काम न करे – और मैंने उस बात को नज़रअंदाज़ कर दिया।”

उन्होंने आगे कहा, “यह गलती मैं आज भी करता हूं। कई बार मैं अपने instincts को नहीं सुनता – और जब नहीं सुनता, तो गलत साबित होता हूं।

करण की सीख: Instincts को समझिए, अपनाइए

करण जौहर की इस बातचीत से एक बहुत अहम बात निकल कर सामने आती है – चाहे आप कितने भी सफल क्यों न हों, आपकी instincts यानि अंतरआत्मिक आवाज़ हमेशा आपकी सबसे सच्ची सलाहकार होती है। जब आप उसे नजरअंदाज करते हैं, तो गलत निर्णयों की संभावना बढ़ जाती है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने जितने भी टैलेंट्स को मौका दिया, उनमें से ज्यादातर पर उन्होंने केवल gut feeling के आधार पर भरोसा किया – और वह फैसला अक्सर सही साबित हुआ। लेकिन जब उन्होंने दूसरों की expectations, trends या comfort zone में आकर निर्णय लिए, तो वो चूक गए।

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