2025 में युवाओं के लिए 5 स्किलिंग बदलाव

2025 में युवाओं के लिए 5 स्किलिंग बदलाव

2025 में युवाओं के लिए 5 स्किलिंग बदलाव :- 2025 में युवाओं के लिए स्किलिंग के क्षेत्र में कई अहम बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जो सीधे-सीधे तकनीकी प्रगति, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI), और डिजिटल अर्थव्यवस्था की बढ़ती ज़रूरतों से जुड़े हैं। विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day), जो हर वर्ष 15 जुलाई को मनाया जाता है, इस बदलाव का प्रतीक है। यह दिन सिर्फ एक औपचारिक अवसर नहीं, बल्कि युवाओं को बदलती दुनिया में सफल और सक्षम बनाने का एक वैश्विक आह्वान है।

इस साल का थीम—“AI और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए युवाओं को तैयार करना”—भारत जैसे युवा और उभरते राष्ट्र के लिए विशेष महत्व रखता है। भारत की 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, और ऐसे में यह थीम केवल एक प्रेरणा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी का संकेत है। इसका मतलब है कि शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार नीतियों को इस तरह ढालना होगा कि युवा न सिर्फ वर्तमान की चुनौतियों का सामना कर सकें, बल्कि भविष्य के अवसरों का भी लाभ उठा सकें।

2025 में युवाओं के लिए 5 प्रमुख स्किलिंग बदलाव इस प्रकार हैं:

  1. AI और डेटा एनालिटिक्स में महारत
    पहले जहां कंप्यूटर साक्षरता को एक बुनियादी कौशल माना जाता था, अब AI टूल्स का उपयोग, मशीन लर्निंग के मूल सिद्धांत और डेटा एनालिटिक्स का ज्ञान एक अनिवार्यता बन गया है। कंपनियां ऐसे युवाओं को प्राथमिकता दे रही हैं जो AI-आधारित सॉल्यूशन्स बना और चला सकें।

  2. डिजिटल कंटेंट क्रिएशन और कम्युनिकेशन स्किल्स
    सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग के बढ़ते दायरे ने युवाओं के लिए कंटेंट क्रिएशन, वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक डिजाइन और प्रभावी ऑनलाइन कम्युनिकेशन को एक हाई-डिमांड स्किल बना दिया है।

  3. ग्रीन और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज में ट्रेनिंग
    जलवायु परिवर्तन और स्थिर विकास के बढ़ते महत्व के चलते, सोलर एनर्जी, ई-व्हीकल मेंटेनेंस, वेस्ट मैनेजमेंट और ग्रीन बिल्डिंग टेक्नोलॉजीज जैसे क्षेत्रों में कौशल की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।

  4. साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल प्राइवेसी अवेयरनेस
    जैसे-जैसे डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन डेटा का उपयोग बढ़ा है, वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़े हैं। 2025 में साइबर सिक्योरिटी, एथिकल हैकिंग और डेटा प्रोटेक्शन स्किल्स युवाओं के लिए नौकरी और उद्यमिता दोनों में बड़े अवसर पैदा कर रहे हैं।

  5. लाइफ स्किल्स और क्रिटिकल थिंकिंग
    केवल तकनीकी ज्ञान काफी नहीं है—क्रिटिकल थिंकिंग, समस्या समाधान, टीमवर्क और इंटरपर्सनल स्किल्स अब हर क्षेत्र में ज़रूरी हो गए हैं। AI युग में रचनात्मक सोच और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) भी एक मजबूत पहचान बना रही है।

इन बदलावों को अपनाने के लिए भारत सरकार, निजी कंपनियां और शिक्षा संस्थान मिलकर नए प्रशिक्षण प्रोग्राम और कोर्सेज़ शुरू कर रहे हैं। स्किल इंडिया मिशन और PMKVY (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना) जैसे कार्यक्रम अब AI, डिजिटल मार्केटिंग और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे मॉड्यूल को शामिल कर रहे हैं।

संक्षेप में, 2025 का संदेश स्पष्ट है—जो युवा AI, डिजिटल अर्थव्यवस्था और सस्टेनेबल इनोवेशन में खुद को प्रशिक्षित करेंगे, वही भविष्य की अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। यह समय सिर्फ “नौकरी पाने” का नहीं, बल्कि “भविष्य बनाने” का है।

भारत की डिजिटल छलांग में युवाओं की भूमिका

भारत आज एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जहां उसकी सबसे बड़ी ताकत उसका युवा वर्ग है। देश की जनसंख्या का लगभग 65% हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है, यानी करीब 600 मिलियन से अधिक युवा। यह संख्या अपने आप में एक ऐतिहासिक अवसर है—एक ऐसा डेमोग्राफिक डिविडेंड, जो अगर सही दिशा और प्रशिक्षण के साथ आगे बढ़े, तो भारत को आने वाले दशकों में वैश्विक आर्थिक नेतृत्व तक पहुंचा सकता है। लेकिन यह लाभ अपने आप नहीं मिलेगा; इसे वास्तविक शक्ति में बदलने के लिए सुनियोजित प्रयास और रणनीतिक निवेश की जरूरत है।

भविष्य की नौकरियों की मांग अब पारंपरिक कौशल तक सीमित नहीं रही। दुनिया तेजी से बदल रही है, और तकनीकी दक्षता अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि करियर निर्माण का मूल आधार बन गई है। आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा, ब्लॉकचेन, ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकें हर उद्योग में प्रवेश कर चुकी हैं—चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, या मैन्युफैक्चरिंग हो।

  • AI न केवल डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज बना रहा है, बल्कि ऑटोमेशन के जरिए नई तरह की नौकरियां भी पैदा कर रहा है।

  • बिग डेटा संगठनों को उपभोक्ता व्यवहार, बाजार की दिशा और संसाधन प्रबंधन में सटीक निर्णय लेने की क्षमता दे रहा है।

  • ब्लॉकचेन वित्तीय लेन-देन से लेकर सप्लाई चेन मैनेजमेंट तक, पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।

  • AR शिक्षा, गेमिंग, और डिजाइन सेक्टर में इंटरेक्टिव और इमर्सिव अनुभव प्रदान कर रहा है।

  • IoT स्मार्ट डिवाइस, कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमेटेड प्रक्रियाओं के जरिए जीवन और उद्योग दोनों को अधिक कुशल बना रहा है।

इन तकनीकों के बिना अब भविष्य के करियर की कल्पना अधूरी है। आने वाले वर्षों में सबसे सफल वही युवा होंगे, जो न केवल इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित होंगे, बल्कि वैश्विक सोच के साथ इनका उपयोग करना भी जानते होंगे। इसका मतलब है—अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों को समझना, विविध संस्कृतियों में काम करने की क्षमता विकसित करना, और सतत सीखने की आदत अपनाना।

सरकार और निजी क्षेत्र, दोनों इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। स्किल इंडिया मिशन, PMKVY, और विभिन्न विश्वविद्यालयों के टेक-इंटीग्रेटेड कोर्स अब AI, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहे हैं। साथ ही, स्टार्टअप इकोसिस्टम भी युवाओं को प्रयोग और नवाचार के अवसर दे रहा है, ताकि वे केवल नौकरी तलाशने वाले नहीं, बल्कि रोजगार पैदा करने वाले बन सकें।

संक्षेप में, भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह अपने इन 600 मिलियन युवाओं को टेक्नोलॉजिकल स्किल्स, क्रिएटिविटी और ग्लोबल माइंडसेट से कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी तरह से लैस कर पाता है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत न केवल आर्थिक महाशक्ति बनेगा, बल्कि तकनीकी नवाचार में भी अग्रणी रहेगा।

AI-प्रेरित अर्थव्यवस्था के लिए स्किलिंग जरूरी

2025 में युवाओं के लिए 5 स्किलिंग बदलाव

यूएन की हालिया रिपोर्ट ने एक गंभीर वैश्विक चुनौती की ओर संकेत किया है—दुनियाभर में करीब 70% युवा या तो बेरोज़गार हैं या असंगठित क्षेत्र में कम कौशल वाली नौकरियों में काम कर रहे हैं। इसका सीधा अर्थ है कि अधिकांश युवाओं के पास ऐसी क्षमताएं और प्रशिक्षण नहीं हैं जो उन्हें स्थायी, सम्मानजनक और अच्छी आय वाली नौकरियों तक पहुंचा सकें। यह समस्या सिर्फ विकासशील देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी मौजूद है।

भारत के संदर्भ में, नीति आयोग की 2024 रिपोर्ट एक और चिंताजनक तथ्य सामने लाती है—50% से अधिक युवा AI, साइबर सिक्योरिटी, डेटा साइंस, और डिजिटल मार्केटिंग जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों के लिए “जॉब-रेडी” नहीं हैं। यानी, भले ही देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था और उभरती तकनीकों में अपार अवसर हों, लेकिन कौशल-अभाव के कारण युवा इन अवसरों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

इस स्थिति के पीछे कई कारण हैं—

  • स्कूल और कॉलेज स्तर पर तकनीकी और प्रायोगिक शिक्षा की कमी

  • पारंपरिक पाठ्यक्रम का तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के साथ सामंजस्य न बैठा पाना

  • ग्रामीण और शहरी इलाकों में डिजिटल पहुंच और इंफ्रास्ट्रक्चर में अंतर

  • युवाओं में करियर-गाइडेंस और स्किल अपडेटेशन के प्रति जागरूकता का अभाव

हालांकि, इस चुनौती का समाधान असंभव नहीं है। सुधार लाने के लिए सरकारी संस्थानों, निजी कंपनियों और शिक्षाविदों को एकजुट होकर काम करना होगा। इसमें न केवल नए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना शामिल है, बल्कि उन्हें स्थानीय भाषा में, कम लागत पर और सभी के लिए सुलभ बनाना भी ज़रूरी है।

अच्छी खबर यह है कि भारत में कई प्रमुख उद्योग समूह पहले ही इस दिशा में ठोस कदम उठा चुके हैं। उदाहरण के लिए—

  • आईटी कंपनियां AI, डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए मुफ्त ऑनलाइन कोर्स और इंटर्नशिप अवसर प्रदान कर रही हैं।

  • मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर इंडस्ट्री 4.0 टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन के लिए युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

  • ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग कंपनियां युवाओं को कंटेंट क्रिएशन, सोशल मीडिया मैनेजमेंट और ऑनलाइन ब्रांडिंग में प्रशिक्षित कर रही हैं।

  • स्टार्टअप इकोसिस्टम युवाओं को न सिर्फ रोजगार, बल्कि उद्यमिता के अवसर भी दे रहा है, जिससे वे खुद के प्रोजेक्ट और कंपनियां शुरू कर सकें।

इन प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत स्किलिंग मिशन के तहत जोड़कर, और आधुनिक तकनीक-आधारित लर्निंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके, भारत अपने युवाओं को वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धी बना सकता है।

अगर यह बदलाव समय पर और व्यापक स्तर पर लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपने युवा वर्ग की बेरोज़गारी दर घटा सकेगा, बल्कि उन्हें भविष्य की अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित कर सकेगा।

1. प्रोजेक्ट दिशा: गॉदरेज की तकनीकी पहल

गॉदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप का ‘Project Disha’ 2011 से लगातार युवाओं को आधुनिक, उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण देने में एक अग्रणी पहल के रूप में जाना जाता है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य सिर्फ कौशल सिखाना नहीं, बल्कि युवाओं को ऐसे क्षेत्रों में दक्ष बनाना है जो आने वाले दशकों में भारत की आर्थिक और औद्योगिक वृद्धि की रीढ़ साबित होंगे।

साल FY25 में ही, इस प्रोजेक्ट ने 9,000 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया। इनमें से 45% प्रतिभागियों को सफलतापूर्वक रोजगार मिला, खासकर मैन्युफैक्चरिंग जैसे “भविष्य-निर्माता” सेक्टर में, जहां उच्च तकनीकी दक्षता और सटीकता की मांग लगातार बढ़ रही है। यह सफलता दर इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा में किया गया प्रशिक्षण न केवल युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाता है, बल्कि उद्योगों की कार्यबल की जरूरतों को भी पूरा करता है।

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत इसका ITI (Industrial Training Institutes) के साथ गठजोड़ है। पारंपरिक ट्रेड्स—जैसे वेल्डिंग, मशीनिंग, इलेक्ट्रिकल वर्क—को अब डिजिटल अपग्रेड के साथ सिखाया जा रहा है। इसमें स्मार्ट मशीन ऑपरेशन, ऑटोमेशन, कंप्यूटर-एडेड डिजाइन (CAD), और इंडस्ट्री 4.0 तकनीकों का उपयोग शामिल है, जिससे प्रशिक्षित युवा केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक उद्योग मानकों के अनुरूप तैयार हो सकें।

अश्विनी देवदेशमुख, हेड, CSR एवं सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग, कहती हैं—
“हम ITI संस्थानों के साथ मिलकर पारंपरिक ट्रेड्स को डिजिटल टच दे रहे हैं। हमारा उद्देश्य एक समावेशी और भविष्य-तैयार कार्यबल बनाना है।”

‘Project Disha’ सिर्फ तकनीकी प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है; इसमें सॉफ्ट स्किल्स, सुरक्षा मानक, टीमवर्क, और कार्य नैतिकता पर भी समान रूप से जोर दिया जाता है। इसका मकसद युवाओं को हर दृष्टि से जॉब-रेडी बनाना है, ताकि वे न केवल वर्तमान की मांगों को पूरा करें, बल्कि आने वाले समय की चुनौतियों का भी सामना कर सकें।

ऐसी पहलें भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को वास्तविक आर्थिक शक्ति में बदलने में अहम भूमिका निभाती हैं, और यह साबित करती हैं कि जब उद्योग, शिक्षा और तकनीक मिलकर काम करते हैं, तो युवाओं के भविष्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकता है।

2. ईमार इंडिया: रियल एस्टेट में डिजिटल कौशल

रियल एस्टेट सेक्टर की दिग्गज कंपनी ईमार इंडिया ने अब अपने व्यवसायिक दायरे को पारंपरिक इंटीरियर डिजाइन और कंस्ट्रक्शन सेवाओं से आगे बढ़ा दिया है। बदलते समय और उद्योग की डिजिटल रूपांतरण आवश्यकताओं को देखते हुए, कंपनी अब युवाओं को AR/VR (ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी), डेटा एनालिटिक्स और कस्टमर एक्सपीरियंस डिज़ाइन जैसे आधुनिक डिजिटल टूल्स में प्रशिक्षित कर रही है।

यह पहल न केवल रियल एस्टेट के भविष्य को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में है, बल्कि युवाओं को वैश्विक मानकों पर प्रतिस्पर्धी बनाने का भी प्रयास है। AR/VR तकनीक के माध्यम से डिजाइन और आर्किटेक्चर की प्रोजेक्ट विज़ुअलाइज़ेशन को और अधिक इंटरेक्टिव और सटीक बनाया जा रहा है। वहीं डेटा एनालिटिक्स ग्राहकों की प्राथमिकताओं और बाजार की प्रवृत्तियों को समझने में मदद करता है, जिससे परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन अधिक प्रभावी हो जाता है। कस्टमर एक्सपीरियंस डिज़ाइन के प्रशिक्षण से युवाओं को ग्राहक-केंद्रित सोच और सेवा-गुणवत्ता में उत्कृष्टता हासिल करने की क्षमता मिल रही है।

माधुरी मेहता, CHRO, ईमार इंडिया, कहती हैं—
“हम नेतृत्व क्षमता, समावेशी विकास और भविष्य-उन्मुख स्किल्स को विकसित कर रहे हैं, ताकि युवा विक्सित भारत के निर्माण में भागीदार बनें।”

ईमार इंडिया का यह कदम रियल एस्टेट को एक तकनीकी-समृद्ध और इनोवेशन-चालित उद्योग में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों में केवल डिजिटल टूल्स का उपयोग सिखाना ही नहीं, बल्कि लीडरशिप स्किल्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, और इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन जैसी क्षमताओं का विकास भी शामिल है।

इस प्रकार, कंपनी न केवल भविष्य के रियल एस्टेट प्रोफेशनल तैयार कर रही है, बल्कि ऐसे युवा लीडर्स भी गढ़ रही है, जो भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य में सक्रिय योगदान दे सकें। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल स्किलिंग और रचनात्मक सोच का संयोजन, आने वाले समय में किसी भी उद्योग की सफलता की कुंजी बनने वाला है।

3. एक्सपेरियन टेक्नोलॉजीज: युवा का आत्मबल और कौशल दोनों

Experion Technologies युवाओं के प्रशिक्षण को एक संपूर्ण विकास प्रक्रिया के रूप में देखती है। यहां केवल टेक्निकल ट्रेनिंग पर ही जोर नहीं दिया जाता, बल्कि आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और करियर काउंसलिंग को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जाती है। कंपनी का मानना है कि तकनीकी दक्षता तभी प्रभावी होती है जब उसके साथ मजबूत व्यक्तित्व और सही दिशा में करियर योजना भी जुड़ी हो।

इसी सोच के तहत, Experion ने “Maestro” नामक एक विशेष मेंटॉरशिप प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली का उद्देश्य छात्रों और युवाओं को कैम्पस से कॉर्पोरेट की यात्रा में निरंतर मार्गदर्शन देना है। हर प्रतिभागी को अनुभवी पेशेवरों के साथ जोड़ा जाता है, जो न केवल तकनीकी ज्ञान साझा करते हैं, बल्कि उन्हें कार्यस्थल की वास्तविक चुनौतियों, टीमवर्क, समय प्रबंधन और निर्णय लेने जैसे अहम पहलुओं से भी परिचित कराते हैं।

जीजो जोसेफ, डायरेक्टर – पीपल एंड कल्चर, कहते हैं—
“हम युवाओं को संसाधन नहीं, भविष्य के निर्माता मानते हैं। शिक्षा और रोज़गार के बीच की खाई को हमें भरना ही होगा।”

यह दृष्टिकोण Experion Technologies को अन्य टेक कंपनियों से अलग बनाता है। यहां ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में रियल-लाइफ प्रोजेक्ट्स, सॉफ्ट स्किल्स डेवलपमेंट, और इंडस्ट्री एक्सपोजर का संयोजन होता है, जिससे प्रतिभागी न केवल तकनीकी रूप से दक्ष होते हैं, बल्कि कॉर्पोरेट संस्कृति और प्रोफेशनल एथिक्स के लिए भी तैयार रहते हैं।

इस तरह, Experion का प्रशिक्षण मॉडल युवाओं को केवल नौकरी के योग्य बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें ऐसे समग्र प्रोफेशनल्स में बदलने पर केंद्रित है, जो भविष्य के उद्योग और समाज में नेतृत्व की भूमिका निभा सकें।

4. हरमन ऑटोमोटिव: क्लासरूम से कनेक्टेड कार तक

Samsung की सहायक कंपनी HARMAN Automotive ने युवाओं के तकनीकी और पेशेवर विकास को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अपनी इन-हाउस लर्निंग पहल “HARMAN University” शुरू की है। इस प्लेटफॉर्म के तहत, युवा न केवल नवीनतम तकनीकों में प्रशिक्षित होते हैं, बल्कि ऑटोमोटिव उद्योग के वास्तविक कार्य परिवेश और चुनौतियों को भी गहराई से समझते हैं।

HARMAN University का फोकस विशेष रूप से AI (Artificial Intelligence), IoT (Internet of Things) और ऑटोमोटिव डिज़ाइनजैसे उभरते हुए और हाई-डिमांड क्षेत्रों पर है। यहां प्रशिक्षण केवल थ्योरी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि रियल-टाइम प्रोजेक्ट्स, इंडस्ट्री केस स्टडीज और सिम्युलेशन-आधारित लर्निंग के माध्यम से युवाओं को प्रैक्टिकल स्किल्स सिखाई जाती हैं।

इन प्रोग्राम्स में सबसे चर्चित है “Automotive Bootcamp”—एक इंटेंसिव, हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग प्रोग्राम, जो प्रतिभागियों को वास्तविक इंडस्ट्री प्रोजेक्ट्स और चैलेंजेस के लिए तैयार करता है। इसमें युवाओं को ऑटोमोटिव सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, स्मार्ट कनेक्टिविटी सिस्टम्स, और वर्चुअल टेस्टिंग प्लेटफॉर्म्स का अनुभव दिया जाता है, जिससे वे नौकरी के पहले दिन से ही प्रोडक्टिव हो सकें।

नागेंद्र प्रसाद, सीनियर डायरेक्टर, HR बिजनेस पार्टनर, कहते हैं—
“हम ऐसे पेशेवर तैयार कर रहे हैं जो तकनीक के साथ-साथ नेतृत्व में भी माहिर हों।”

इस विज़न के तहत, HARMAN न केवल तकनीकी दक्षता पर जोर देता है, बल्कि लीडरशिप ट्रेनिंग, टीम मैनेजमेंट, और प्रॉब्लम-सॉल्विंग जैसी क्षमताओं को भी समान रूप से विकसित करता है। परिणामस्वरूप, यहां से निकलने वाले युवा केवल इंजीनियर या डिज़ाइनर नहीं, बल्कि ऐसे फुल-स्टैक प्रोफेशनल्स होते हैं, जो नवाचार, गुणवत्ता और रणनीतिक सोच में निपुण होते हैं।

HARMAN Automotive का यह मॉडल यह दर्शाता है कि कैसे एक कंपनी भविष्य की तकनीकी मांगों को समझते हुए, युवाओं को न केवल नौकरी के लिए तैयार कर सकती है, बल्कि उन्हें उद्योग में बदलाव लाने वाले लीडर्स के रूप में भी गढ़ सकती है।

5. इमार्टिकस लर्निंग: डिजिटल लर्निंग में क्रांति

EdTech कंपनी Imarticus Learning ने पिछले एक साल में AI-संबंधित कोर्सेस में 118% की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, जो यह दर्शाता है कि भारतीय युवाओं के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उससे जुड़ी स्किल्स की मांग कितनी तेज़ी से बढ़ रही है। यह रुझान न केवल तकनीकी करियर अवसरों की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आने वाले वर्षों में AI-साक्षरता (AI literacy) हर प्रोफेशनल के लिए अनिवार्य होने वाली है।

कंपनी के CEO निखिल बर्शिकारका का मानना है कि AI प्रशिक्षण केवल कोडिंग और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उनका दृष्टिकोण कहीं अधिक व्यापक है—युवाओं को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ डिजिटल एथिक्स, मीडिया लिटरेसी, और जिम्मेदार AI उपयोग की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य है कि भविष्य के AI प्रोफेशनल न केवल उच्च स्तरीय तकनीकी समाधान बना सकें, बल्कि उनका उपयोग सामाजिक, नैतिक और कानूनी मानकों के अनुरूप भी हो।

AI-संबंधित कोर्सेस में यह बढ़ोतरी कई प्रमुख कारणों से हुई है—

  • विभिन्न उद्योगों में ऑटोमेशन और AI टूल्स का तेजी से बढ़ता उपयोग

  • कंपनियों की डेटा-ड्रिवन डिसीज़न मेकिंग की ओर झुकाव

  • AI से जुड़े जॉब प्रोफाइल्स जैसे डेटा साइंटिस्ट, AI इंजीनियर, प्रॉम्प्ट इंजीनियर, और AI प्रोडक्ट मैनेजर की मांग में इज़ाफ़ा

  • सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा AI-इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा

Imarticus Learning अपने कोर्स डिज़ाइन में प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट्स, इंडस्ट्री कोलैबोरेशन और केस स्टडीज़ को शामिल करता है, ताकि छात्रों को वास्तविक उद्योग चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके। साथ ही, ट्रेनिंग में एथिकल AI फ्रेमवर्क्स, फेक न्यूज़ डिटेक्शन, और डेटा प्राइवेसी रेगुलेशंस पर भी विशेष फोकस रहता है।

निखिल बर्शिकारका के शब्दों में—
“अब समय आ गया है कि युवाओं को सिर्फ कोडिंग ही नहीं, बल्कि डिजिटल एथिक्स, मीडिया लिटरेसी और जिम्मेदार AI उपयोग भी सिखाया जाए।”

यह सोच इस तथ्य को मजबूत करती है कि आने वाले वर्षों में तकनीकी दक्षता और नैतिक जागरूकता का संतुलन ही AI प्रोफेशनल्स की असली पहचान होगी।

ग्लोबल माइंडसेट की अनिवार्यता

आज के दौर में किसी भी इंडस्ट्री में सफलता केवल तकनीकी ज्ञान (Technical Skills) पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसमें वैश्विक सोच (Global Mindset) का होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। दुनिया एक “ग्लोबल विलेज” में बदल चुकी है, जहां व्यापार, तकनीक, और संचार सीमाओं के बंधनों से परे हो गए हैं। ऐसे में, एक प्रोफेशनल के पास केवल कोडिंग, इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट स्किल्स होना पर्याप्त नहीं है—उसे क्रॉस-कल्चरल कम्युनिकेशन, डेटा गवर्नेंस, और क्लाइमेट चेंज जैसे वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ भी होनी चाहिए।

यह बदलाव शिक्षा प्रणाली में भी देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस खोलने की अनुमति दी गई है। इसका सीधा मतलब है कि भारतीय छात्रों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा, रिसर्च के अवसर और सांस्कृतिक एक्सपोज़र देश के भीतर ही मिल सकेगा। यह पहल भारतीय शिक्षा प्रणाली को न केवल ग्लोबल बेंचमार्क तक ले जाएगी, बल्कि लोकल टैलेंट को ग्लोबल लीडर में बदलने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।

इसी संदर्भ में, World Youth Skills Day 2025 भारत के लिए केवल कैलेंडर पर दर्ज एक तिथि नहीं है—यह एक अलार्म बेल है, जो हमें याद दिलाती है कि युवाओं को डिजिटल युग के लिए तैयार करना अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन, और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसी स्किल्स आने वाले समय में सफलता की नई परिभाषा तय करेंगी।

अगर सरकार, उद्योग जगत, और शिक्षा क्षेत्र मिलकर एक सशक्त और समन्वित प्रयास करें, तो भारत न केवल एक उपभोक्ता बाजार (Consumer Market) बना रहेगा, बल्कि एक इनnovation लीडर के रूप में भी उभरेगा—जहां भारतीय युवा दुनिया के लिए नए समाधान विकसित करेंगे, और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

क्योंकि आने वाला समय केवल तकनीकी नहीं होगा—वह युवा होगा। और यह युवा भारत, अपनी स्किल्स, सोच और दृष्टिकोण से, वैश्विक मंच पर एक Game Changer साबित हो सकता है।

thorinaresh615@gmail.com

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