AI Deepfake Case: 10 लाख की ठगी में फंसी अर्चिता

AI Deepfake Case: 10 लाख की ठगी में फंसी अर्चिता

AI Deepfake Case: 10 लाख की ठगी में फंसी अर्चिता :- असम के तिनसुकिया ज़िले की रहने वाली अर्चिता फुकन कभी सोशल मीडिया पर खास एक्टिव नहीं थीं। लेकिन 2025 की शुरुआत में अचानक “Babydoll Archi” नाम से एक इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स वायरल होने लगे।

 घटना की पृष्ठभूमि

इन अकाउंट्स पर एक ग्लैमरस, बोल्ड और फैशन-फॉरवर्ड लड़की की तस्वीरें और वीडियोज़ पोस्ट होते थे, जिन पर लाखों फॉलोअर्स जुड़ गए। लोग उन्हें एक असली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर समझने लगे।

लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट थी — यह ऑनलाइन पर्सनालिटी नकली थी, और इसके पीछे एक गहरी साजिश छुपी थी।


 मास्टरमाइंड: पुराना बॉयफ्रेंड

इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड कोई अजनबी नहीं, बल्कि अर्चिता का पुराना बॉयफ्रेंड प्रतीम बोरा था।

  • उम्र: 27 वर्ष

  • पेशा: इंजीनियर

  • स्थान: तिनसुकिया, असम

अर्चिता से ब्रेकअप के बाद प्रतीम ने बदला लेने के लिए AI और डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।


 पूरी टाइमलाइन

  1. जनवरी 2025 – प्रतीम ने अर्चिता की असली तस्वीरें और पुराने वीडियो इकट्ठा किए।

  2. फरवरी 2025 – AI डीपफेक सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया, जिससे अश्लील और बोल्ड कंटेंट तैयार किया गया।

  3. मार्च 2025 – “Babydoll Archi” के नाम से सोशल मीडिया प्रोफाइल लॉन्च किए।

  4. अप्रैल–जून 2025 – पेड सब्सक्रिप्शन, डोनेशन और नकली फॉलोअर्स से ₹10 लाख की कमाई।

  5. जुलाई 2025 – अर्चिता को अपने नाम और तस्वीर से जुड़े अश्लील कंटेंट का पता चला।

  6. 12 जुलाई 2025 – पुलिस ने प्रतीम बोरा को तिनसुकिया से गिरफ्तार किया।


 ठगी का तरीका

प्रतीम ने इस स्कैम को बहुत प्लानिंग के साथ अंजाम दिया।

  1. पहचान की चोरी – अर्चिता के फोटो, पुराने चैट, और दोस्तों के सोशल मीडिया से मीडिया फाइल्स निकालीं।

  2. AI मॉडल ट्रेनिंग – डीपफेक बनाने के लिए उनकी तस्वीरें AI सॉफ़्टवेयर में फीड कीं, ताकि चेहरे का पैटर्न पूरी तरह मैच हो।

  3. नकली वीडियो बनाना – इन फोटोज़ को मॉर्फ करके अश्लील वीडियो बनाए, जो देखने में असली लगते थे।

  4. ब्रांडिंग और मार्केटिंग – सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उन्हें ‘ग्लैमरस इन्फ्लुएंसर’ के रूप में पेश किया।

  5. मोनिटाइजेशन – पेड सब्सक्रिप्शन साइट्स (जैसे OnlyFans-जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स) और डोनेशन लिंक लगाकर कमाई की।


पुलिस जांच

  • शिकायत दर्ज – अर्चिता ने साइबर क्राइम सेल, असम में रिपोर्ट दर्ज कराई।

  • डिजिटल ट्रैकिंग – पुलिस ने IP एड्रेस और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री ट्रैक की।

  • तकनीकी सबूत – लैपटॉप, मोबाइल, हार्ड ड्राइव से डीपफेक फाइल्स और सॉफ़्टवेयर बरामद हुए।

  • गिरफ्तारी – 12 जुलाई को तिनसुकिया से प्रतीम बोरा को गिरफ्तार किया गया।


कानूनी धाराएं

प्रतीम पर निम्न धाराएं लगाई गईं —

  • IPC धारा 354A, 354D – यौन उत्पीड़न और पीछा करना

  • IPC धारा 420 – धोखाधड़ी और ठगी

  • IT Act धारा 66E – निजी तस्वीर का गैरकानूनी प्रकाशन

  • IT Act धारा 67, 67A – अश्लील सामग्री का प्रसारण

इन धाराओं के तहत प्रतीम को 7–10 साल की सज़ा और लाखों रुपये का जुर्माना हो सकता है।


 AI डीपफेक टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है? (आसान भाषा में)

  • Face Mapping – किसी व्यक्ति के चेहरे की सैकड़ों तस्वीरें लेकर AI उसके हावभाव और एंगल सीख लेता है।

  • Video Merge – इस चेहरे को किसी और वीडियो या फोटो पर लगाया जाता है।

  • Realistic Output – AI स्किन टोन, लाइटिंग, और शैडो को मैच करके नकली वीडियो को असली जैसा बना देता है।


बचाव के तरीके

  1. सोशल मीडिया पर प्राइवेसी सेटिंग्स ऑन रखें।

  2. पर्सनल फोटो या वीडियो को ओपन प्लेटफ़ॉर्म पर शेयर न करें।

  3. दो-स्टेप वेरिफिकेशन और स्ट्रॉन्ग पासवर्ड का इस्तेमाल करें।

  4. नकली प्रोफाइल दिखने पर तुरंत रिपोर्ट करें।

  5. जरूरत पड़ने पर साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत करें।


समाज के लिए संदेश

यह मामला सिर्फ एक लड़की की कहानी नहीं है — यह चेतावनी है कि AI और डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है।

  • हमें डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) बढ़ानी होगी।

  • कानून और टेक्नोलॉजी दोनों को मिलकर ऐसे अपराध रोकने होंगे।

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को AI-डिटेक्शन टूल्स और मॉडरेशन सख्त करना होगा।

Babydoll Archi

अगस्त 2020 में एक इंस्टाग्राम अकाउंट “Babydoll Archi” नाम से सामने आया। शुरुआत में यह अकाउंट एक साधारण ग्लैमरस प्रोफ़ाइल जैसा दिखता था, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी। महज़ कुछ महीनों में इस अकाउंट के 1.3 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हो गए।
इस प्रोफ़ाइल पर लगातार अर्चिता फुकन के नाम से वीडियो, सेल्फी, रील्स और फैशन शूट पोस्ट होते रहे। पोस्ट्स की क्वालिटी और प्रेज़ेंटेशन इतनी प्रोफेशनल थी कि लोग इसे एक असली, हाई-प्रोफ़ाइल इन्फ्लुएंसर अकाउंट मान बैठे।
चौंकाने वाली बात यह थी कि इस अकाउंट को ब्लू टिक वेरिफिकेशन भी मिल गया था, जिससे इसकी विश्वसनीयता और बढ़ गई। लाखों लोग इस “इन्फ्लुएंसर” को फॉलो करने लगे, कई ब्रांड्स ने भी इस पेज से संपर्क करना शुरू कर दिया, और इंटरनेट पर इसकी पहचान एक असली सेलेब्रिटी के तौर पर बनने लगी।


AI की मदद से नकली फोटो और वीडियो:

जब पुलिस ने इस मामले की गहराई में जाकर जांच की, तो एक चौंकाने वाला सच सामने आया। इस अकाउंट के पीछे कोई असली मॉडल थी ही नहीं। यह पूरी पर्सनालिटी AI और डीपफेक टेक्नोलॉजी की देन थी।
जांच में पता चला कि प्रतीम बोरा ने सिर्फ अर्चिता की एक असली फोटो से हजारों नकली फोटो और वीडियो बनाने का खेल खेला। इसके लिए उसने कई एडवांस AI टूल्स का इस्तेमाल किया, जिनमें —

  • OpenAI – टेक्स्ट-टू-इमेज और चेहरे के हावभाव बनाने के लिए।

  • Midjourney – हाई-रेज़ोल्यूशन, कलात्मक और हाइपर-रियलिस्टिक इमेज जनरेशन के लिए।

  • DesireAI – अश्लील और वयस्क सामग्री बनाने में इस्तेमाल होने वाला टूल।

  • OpenArt AI – चेहरे के मॉर्फिंग और नए एंगल क्रिएट करने के लिए।

इन टूल्स ने मिलकर ऐसी अत्यंत वास्तविक तस्वीरें और वीडियो तैयार किए, जिन्हें असली और नकली में फर्क करना आम इंसान के लिए लगभग नामुमकिन था।


केन्द्रा लस्ट के साथ फर्जी क्लिप:

इस फर्जी कंटेंट का असर और सनसनी तब और बढ़ गई जब एक क्लिप वायरल हुई, जिसमें “Babydoll Archi” को अमेरिका की मशहूर वयस्क फिल्म अभिनेत्री Kendra Lust के साथ दिखाया गया। यह वीडियो सोशल मीडिया और वयस्क कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म्स पर तेजी से फैल गया, और लाखों व्यूज़ पाने लगा।
वीडियो इतना असली लग रहा था कि कई लोगों को यकीन हो गया कि “Babydoll Archi” वाकई एक इंटरनेशनल एडल्ट स्टार है, जिसने हॉलीवुड वयस्क इंडस्ट्री में कदम रख दिया है।
लेकिन जब पुलिस और साइबर एक्सपर्ट्स ने तकनीकी जांच की, तो सच सामने आया — यह पूरा वीडियो AI डीपफेक से तैयार किया गया था। इसमें अर्चिता के चेहरे को Kendra Lust के साथ मौजूद असली फुटेज पर सटीक फेस मैपिंग और रियल-टाइम लाइटिंग एडजस्टमेंट के जरिए जोड़ा गया था, जिससे यह पूरी तरह असली जैसा लगे।

र्चिता की हिम्मत और जवाबी कार्रवाई

जब अर्चिता को इस पूरे मामले की भनक लगी, तो शुरुआत में वह सदमे में थीं। लेकिन उनका परिवार तुरंत हरकत में आया।
खासतौर पर, अर्चिता के भाई ने बेहद तेजी और समझदारी दिखाई। उन्होंने सोशल मीडिया पर फैल रही फर्जी सामग्री को खुद देखने के बाद स्थिति की गंभीरता को भांप लिया।
उन्होंने देर न करते हुए स्थानीय पुलिस थाने में औपचारिक FIR दर्ज कराई और साथ ही इस केस को सीधे साइबर क्राइम सेल के पास भेजने की मांग की।
यह तत्परता बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि इससे पुलिस को तुरंत तकनीकी जांच शुरू करने और डिजिटल सबूत सुरक्षित करने का मौका मिल गया।
अक्सर ऐसे मामलों में देरी होने पर फर्जी कंटेंट इंटरनेट पर और ज्यादा फैल जाता है, लेकिन यहां परिवार की त्वरित कार्रवाई ने नुकसान को कुछ हद तक सीमित कर दिया।


डिजिटल फॉरेंसिक जांच

FIR दर्ज होने के तुरंत बाद पुलिस ने जांच शुरू की और डिजिटल फॉरेंसिक टीम को इस केस में शामिल किया।
जांच के दौरान —

  • संदिग्ध डिवाइस (लैपटॉप, स्मार्टफोन, हार्ड ड्राइव) जब्त किए गए।

  • इन डिवाइस से AI सॉफ़्टवेयर इंस्टॉलेशन लॉग, प्रोजेक्ट फाइल्स, और नकली कंटेंट के रॉ वर्ज़न बरामद किए गए।

  • पेमेंट गेटवे और सब्सक्रिप्शन साइट्स के ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड ट्रेस किए गए, जिससे यह साबित हुआ कि नकली कंटेंट से ₹10 लाख की कमाई हुई।

  • साइबर विशेषज्ञों ने AI टूल्स (जैसे Midjourney, OpenAI, DesireAI) के उपयोग के डिजिटल ट्रेस की पहचान की, जिनसे नकली फोटो-वीडियो तैयार किए गए थे।

डिजिटल फॉरेंसिक जांच का सबसे अहम हिस्सा यह था कि टीम ने नकली और असली कंटेंट के बीच तकनीकी तुलना करके ठोस सबूत इकट्ठा किए, जिन्हें अदालत में पेश किया जा सके।


नीतिगत चर्चाएं शुरू

यह मामला सिर्फ एक आपराधिक जांच तक सीमित नहीं रहा।
जैसे ही यह खबर मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हुई, देशभर में AI सुरक्षा और डिजिटल प्राइवेसी पर बहस छिड़ गई

  • साइबर कानून विशेषज्ञ, टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट और महिला अधिकार संगठनों ने सरकार से AI और डीपफेक पर कड़े कानून बनाने की मांग की।

  • संसद और राज्य विधानसभा स्तर पर यह चर्चा शुरू हो गई कि डीपफेक अपराधों के लिए अलग और सख्त दंड प्रावधान होने चाहिए।

  • कई टेक्नोलॉजी कंपनियां और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने भी इस केस को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वे डीपफेक डिटेक्शन टूल्स को और बेहतर बनाएंगे।

यह केस अब सिर्फ अर्चिता की व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय नीति-निर्माण की बहस का हिस्सा बन चुका है, जो आने वाले समय में भारत के डिजिटल कानूनों के ढांचे को बदल सकता है।

सबकविस्तृत विवरण
एक तस्वीर काफी हैयह केस हमें यह सिखाता है कि ऑनलाइन दुनिया में सिर्फ एक असली फोटो भी गलत हाथों में पड़ने पर खतरनाक हथियार बन सकती है। अर्चिता के मामले में, प्रतीम ने सिर्फ एक असली तस्वीर को आधार बनाकर हजारों नकली, डीपफेक फोटो और वीडियो बना डाले। आज के AI टूल्स चेहरे के हावभाव, स्किन टोन और यहां तक कि बैकग्राउंड को भी इतनी सटीकता से बदल देते हैं कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। इसका मतलब है कि हमें अपनी निजी तस्वीरों और वीडियोज़ को शेयर करते समय बेहद सतर्क रहना होगा, खासकर खुले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर।
तकनीक तेज, कानून धीमाआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक जैसी तकनीकें दिनों में नहीं, घंटों में विकसित हो रही हैं, लेकिन कानून उनकी गति से तालमेल नहीं बिठा पा रहा। भारत में IT Act और IPC की धाराएं तो हैं, लेकिन डीपफेक और AI-जनरेटेड अश्लील कंटेंट जैसे नए अपराधों के लिए विशेष और अपडेटेड कानूनों की कमी है। इस केस में भी पुलिस को IPC और IT Act की मौजूदा धाराओं का सहारा लेना पड़ा, जबकि डीपफेक के लिए कोई अलग कानूनी प्रावधान नहीं है।
जागरूकता जरूरीइस घटना से यह भी स्पष्ट है कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए सिर्फ कानून नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जागरूकता भी बेहद जरूरी है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय प्राइवेसी सेटिंग्स को अपडेट रखना, अनजान लोगों के साथ निजी जानकारी शेयर न करना, और किसी भी संदिग्ध लिंक या प्रोफाइल पर क्लिक न करना — ये सभी साधारण कदम हमें बड़े नुकसान से बचा सकते हैं।
AI पर नियंत्रण ज़रूरीAI और डीपफेक का इस्तेमाल रचनात्मक और सकारात्मक कामों में किया जा सकता है, लेकिन अगर इस पर नियंत्रण न रखा जाए, तो यह गंभीर अपराधों का हथियार बन सकता है। इस मामले ने साफ दिखा दिया कि सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म — दोनों को जवाबदेही लेनी होगी। सरकार को नए कानून और नियम बनाने होंगे, वहीं प्लेटफॉर्म्स को एडवांस्ड डीपफेक डिटेक्शन टूल्स और सख्त वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करने होंगे। अगर दोनों पक्ष मिलकर काम करें, तभी इस तरह के साइबर अपराधों पर रोक लगाई जा सकती है।

अर्चिता फुकन का यह मामला सिर्फ एक महिला के साथ हुई व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक डिजिटल चेतावनी है। यह घटना साफ दिखाती है कि आज के दौर में AI और डीपफेक टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल किसी की भी पहचान, सम्मान और मानसिक शांति को पल भर में छीन सकता है।

कभी तकनीक को मानव सभ्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जाता था — यह शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान और नवाचार में क्रांति ला रही थी। लेकिन इस केस ने दिखा दिया कि वही तकनीक, अगर गलत हाथों में चली जाए, तो वह मानवता के खिलाफ एक खतरनाक हथियार बन सकती है। एक इंसान की तस्वीर, जो कभी एक खूबसूरत याद होती थी, अब किसी के लिए शोषण का साधन बन सकती है।

यह मामला AI की नैतिकता, डिजिटल निजता और महिला-सुरक्षा के तीन अहम मुद्दों को एक साथ सामने लाता है।

  • यह सरकार के लिए संकेत है कि AI और डीपफेक से जुड़े अपराधों के लिए विशेष कानून बनाना अब टालने का विकल्प नहीं है।

  • यह पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए एक चुनौती है कि वे टेक्नोलॉजी के बराबर या उससे तेज गति से काम करना सीखें।

  • और यह समाज के लिए एक आईना है कि हम सबको मिलकर ऑनलाइन शोषण के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति अपनानी होगी।

पर उम्मीद की किरण भी है — इस मामले ने देशभर में बहस और जागरूकता पैदा की है। टेक्नोलॉजी कंपनियां अब डीपफेक डिटेक्शन टूल्स पर काम तेज कर रही हैं, साइबर क्राइम सेल्स अपने जांच तरीकों को अपग्रेड कर रही हैं, और मीडिया इस विषय पर खुलकर रिपोर्टिंग कर रहा है।

सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि हर सोशल मीडिया यूजर को खुद अपनी पहली सुरक्षा पंक्ति बनना होगा

  • अपनी तस्वीरें और निजी जानकारी सोच-समझकर साझा करें।

  • प्राइवेसी सेटिंग्स को नियमित रूप से अपडेट करें।

  • संदिग्ध प्रोफाइल या कंटेंट को तुरंत रिपोर्ट करें।

क्योंकि डिजिटल युग में, आपकी तस्वीरें सिर्फ आपकी नहीं रहतीं — वे दुनिया भर में फैल सकती हैं, और उनके इस्तेमाल पर आपका नियंत्रण खत्म हो सकता है। लेकिन सतर्कता, जागरूकता और मजबूत कानून के साथ, हम इस खतरे को कम कर सकते हैं और तकनीक को फिर से मानवता के विकास का साधन बना सकते हैं।

AI Deepfake Case: 10 लाख की ठगी में फंसी अर्चिता

कानूनी कार्यवाही और आरोप

Dibrugarh साइबर क्राइम यूनिट ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, ताकि अपराधी को कठोर सजा मिल सके और ऐसे अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश जाए। पुलिस ने भारतीय IT एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं का इस्तेमाल किया है, जिनमें शामिल हैं:

  1. IT एक्ट की धारा 66C (पहचान की चोरी) – यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी की डिजिटल पहचान, जैसे फोटो, नाम, या व्यक्तिगत जानकारी को बिना अनुमति के इस्तेमाल करता है। यह अपराध तकनीकी रूप से गंभीर माना जाता है क्योंकि डिजिटल डेटा का दुरुपयोग कई स्तरों पर नुकसान पहुंचा सकता है।

  2. IT एक्ट की धारा 66E (निजता का उल्लंघन) – यह धारा किसी भी ऐसे कार्य के खिलाफ है जिसमें किसी की निजी तस्वीरें या वीडियो उनकी अनुमति के बिना रिकॉर्ड, साझा, या प्रकाशित किए जाते हैं। यह सीधे तौर पर व्यक्ति के निजी जीवन और गरिमा पर हमला है।

  3. IT एक्ट की धारा 67 (अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसार) – इसमें किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री को ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से साझा करना, प्रसारित करना या बेचना अपराध है। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर सख्त सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

  4. भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराएं – जिनमें धोखाधड़ी, धमकी, ब्लैकमेल और मानहानि से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।


पुलिस हिरासत और डिजिटल साक्ष्य
प्रतीम बोरा वर्तमान में पुलिस हिरासत में है। जांच टीम ने उसके लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, बैंक डॉक्यूमेंट और इस्तेमाल किए गए AI टूल्सको जब्त कर लिया है। डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञ इन डिवाइसों से डेटा रिकवर कर रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट डाला गया, कितने लोगों ने इसे खरीदा, और कितनी कमाई हुई।


संभावित सजा
अगर प्रतीम बोरा पर लगे आरोप अदालत में साबित हो जाते हैं, तो उसे कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल तक की सजा के साथ भारी जुर्माना भी हो सकता है। यह सजा बढ़ भी सकती है, अगर अदालत को लगे कि अपराध संगठित तरीके से या व्यावसायिक लाभ के लिए किया गया है।


मामले की पृष्ठभूमि
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, अर्चिता और प्रतीम का कुछ समय पहले ब्रेकअप हुआ था। रिश्ते के टूटने के बाद प्रतीम ने बदले की भावना से अर्चिता की पुरानी सोशल मीडिया तस्वीरों का इस्तेमाल कर एक फर्जी डिजिटल पहचान बनाना शुरू किया।

तिनसुकिया में किराए के एक छोटे से कमरे में बैठकर, उसने पूरा यह ऑपरेशन चलाया — जिसमें न केवल इंस्टाग्राम पर फर्जी अकाउंट बनाए गए, बल्कि Linktree और अन्य सब्सक्रिप्शन-आधारित प्लेटफॉर्म्स के जरिए अश्लील कंटेंट बेचा गया।


अपराधी का कबूलनामा
जांच के दौरान प्रतीम ने स्वीकार किया:

“मैंने गुस्से और बदले की भावना में अर्चिता की पहचान को चुराकर यह सब किया।”

पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रतीम ने इस अवैध गतिविधि से लगभग 3 से 10 लाख रुपये कमाए। यह कमाई सीधे उन लोगों से आई जो उसके फर्जी प्रोफाइल के जरिए कंटेंट खरीद रहे थे।

AI Deepfake Case: 10 लाख की ठगी में फंसी अर्चिता

link in discription :-

Archita phucon

thorinaresh615@gmail.com

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