JEE Advanced 2025: रजित AIR 1, देवदत्ता महिला टॉपर :- JEE Advanced 2025 के नतीजे 2 जून को IIT कानपुर द्वारा जारी कर दिए गए हैं। इस साल करीब 1.8 लाख छात्रों ने देश की इस सबसे कठिन और प्रतिष्ठित मानी जाने वाली इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था। लाखों छात्रों और उनके परिवारों के लिए यह दिन बेहद खास रहा क्योंकि JEE Advanced का रिजल्ट न केवल एक रैंक बल्कि पूरे भविष्य की दिशा तय करता है। हर साल की तरह इस साल भी कई होनहार और प्रतिभाशाली छात्रों ने अपने मेहनत, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के दम पर शानदार प्रदर्शन किया और यह साबित किया कि सही रणनीति और लगातार की गई पढ़ाई से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे इस बार के ऑल इंडिया रैंक 1 टॉपर रजित गुप्ता और महिला श्रेणी की टॉपर देवदत्ता माझी। इन दोनों ने न सिर्फ अच्छे अंक प्राप्त किए बल्कि पूरे देशभर में लाखों छात्रों के लिए एक नई प्रेरणा बनकर सामने आए।
इनकी सफलता की खासियत यह रही कि इन्होंने सिर्फ पढ़ाई पर ही नहीं बल्कि मानसिक मजबूती, समय प्रबंधन और संतुलित जीवनशैली पर भी फोकस किया। जहां रजित गुप्ता ने कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के साथ AIR 1 हासिल कर अपने माता-पिता और शहर का नाम रोशन किया, वहीं देवदत्ता माझी ने यह साबित किया कि सीमित संसाधनों और साधारण माहौल से भी यदि आत्मविश्वास और लगन हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। दोनों की सफलता की कहानी उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणादायक है जो JEE जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। असल में, उनका “सीक्रेट” यही है कि उन्होंने पढ़ाई को बोझ न मानकर एक चुनौती और अवसर के रूप में लिया और लगातार खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की। यही वजह है कि वे सिर्फ अच्छे नंबरों तक सीमित नहीं रहे बल्कि टॉप रैंक हासिल कर पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहे।

JEE Advanced 2025 AIR 1: रजित गुप्ता
Exclusive JEE Advanced 2025 Results: Rjit & Devdatta To :- JEE Advanced 2025 के नतीजे 2 जून को IIT कानपुर द्वारा जारी कर दिए गए हैं। इस साल करीब 1.8 लाख छात्रों ने देश की इस सबसे कठिन और प्रतिष्ठित मानी जाने वाली इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था। लाखों छात्रों और उनके परिवारों के लिए यह दिन बेहद खास रहा क्योंकि JEE Advanced का रिजल्ट न केवल एक रैंक बल्कि पूरे भविष्य की दिशा तय करता है। हर साल की तरह इस साल भी कई होनहार और प्रतिभाशाली छात्रों ने अपने मेहनत, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के दम पर शानदार प्रदर्शन किया और यह साबित किया कि सही रणनीति और लगातार की गई पढ़ाई से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे इस बार के ऑल इंडिया रैंक 1 टॉपर रजित गुप्ता और महिला श्रेणी की टॉपर देवदत्ता माझी। इन दोनों ने न सिर्फ अच्छे अंक प्राप्त किए बल्कि पूरे देशभर में लाखों छात्रों के लिए एक नई प्रेरणा बनकर सामने आए।
इनकी सफलता की खासियत यह रही कि इन्होंने सिर्फ पढ़ाई पर ही नहीं बल्कि मानसिक मजबूती, समय प्रबंधन और संतुलित जीवनशैली पर भी फोकस किया। जहां रजित गुप्ता ने कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के साथ AIR 1 हासिल कर अपने माता-पिता और शहर का नाम रोशन किया, वहीं देवदत्ता माझी ने यह साबित किया कि सीमित संसाधनों और साधारण माहौल से भी यदि आत्मविश्वास और लगन हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। दोनों की सफलता की कहानी उन लाखों छात्रों के लिए
खास बात यह है कि यह सफलता किसी संयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि उनकी लगातार की गई मेहनत और पिछले बेहतरीन रिकॉर्ड का नतीजा है। JEE Advanced से पहले ही रजित ने JEE Main के दोनों सेशनों में 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया था और तभी से यह साफ़ हो गया था कि वह टॉप रैंक के प्रबल दावेदारों में से एक होंगे।
कोटा में रहते हुए उन्होंने रोज़ाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई की, हर हफ्ते मॉक टेस्ट दिए और बार-बार अपने कमजोर टॉपिक्स पर काम किया। उनके अनुसार सबसे बड़ी ताकत था “संतुलन बनाए रखना” – यानी पढ़ाई, आराम और मानसिक शांति तीनों का ख्याल रखना। रिजल्ट के बाद उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ उनकी नहीं बल्कि उनके माता-पिता और गुरुओं की मेहनत का नतीजा है।
पढ़ाई का तरीका
रजित का मानना है कि परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए सख्त और कठोर रूटीन से ज्यादा जरूरी है कंसिस्टेंसी और स्मार्ट वर्क। उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी पढ़ाई को बोझ नहीं बनाया, बल्कि उसे अपनी रुचि और मन के हिसाब से अपनाया। रजित बताते हैं – “मैं तभी पढ़ता था जब मन करता था, लेकिन उस समय को पूरी तरह से इस्तेमाल करता था। जब भी पढ़ने बैठता, मन लगाकर पढ़ता और कोशिश करता कि उस समय अधिक से अधिक कॉन्सेप्ट्स क्लियर हो जाएं। मैंने कभी खुद पर ज़बरदस्ती का रूटीन थोपने की कोशिश नहीं की। मेरा मानना है कि अगर आप मजबूरी में पढ़ते हैं तो दिमाग उतना ग्रहण नहीं कर पाता। इसलिए मैंने हमेशा वही स्ट्रेटेजी अपनाई कि जब भी पढ़ने का मन करे, तब पूरे फोकस और गहराई के साथ पढ़ाई करो।”
पारिवारिक सहयोग
रजित की सफलता के पीछे उनके परिवार का योगदान भी किसी से छिपा नहीं है। उनके पिता एक इंजीनियर हैं और माँ कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। पढ़ाई का माहौल बचपन से ही उनके आसपास रहा, लेकिन सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उनके माता-पिता ने कभी उन पर दबाव नहीं डाला। रजित कहते हैं कि अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों पर परिवार और समाज की अपेक्षाओं का बोझ इतना बढ़ जाता है कि पढ़ाई एक तनाव बन जाती है, लेकिन उनके साथ ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें सकारात्मक सहयोग दिया और यही वजह रही कि उन्हें कभी परीक्षा का लोड महसूस नहीं हुआ।
रजित बताते हैं – “मम्मी-पापा ने हमेशा कहा कि रिजल्ट चाहे जैसा भी हो, हमें तुम्हारी मेहनत पर गर्व है। इसी भरोसे ने मुझे आत्मविश्वास दिया और मुझे यह महसूस कराया कि JEE केवल एक परीक्षा है, कोई बोझ नहीं। मैंने इसे खुले मन से एन्जॉय किया और हर प्रश्न को एक चैलेंज की तरह लिया। शायद यही वजह रही कि मेरी तैयारी का हर दिन मुझे सीखने और बढ़ने का नया मौका देता रहा।”
उनके पिता का इंजीनियरिंग बैकग्राउंड और माँ की प्रोफेसरी ने उन्हें सही गाइडेंस और शैक्षिक वातावरण दिया, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था परिवार का भरोसा और बिना शर्त का सपोर्ट। यही सपोर्ट उन्हें लगातार प्रेरित करता रहा कि वे हर कठिनाई को मुस्कुराकर पार करें और इस परीक्षा को सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं बल्कि अपनी क्षमताओं को परखने का अवसर मानें। इस मानसिक मजबूती ने ही रजित को बाकी छात्रों से अलग बनाया और आखिरकार उन्होंने AIR 1 हासिल करके अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिखाया।
लक्ष्य
रजित गुप्ता का अगला सपना अब और भी बड़ा है। AIR 1 हासिल करने के बाद उनका स्पष्ट लक्ष्य है कि वह देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस शाखा में बी.टेक (B.Tech) करें। कंप्यूटर साइंस आज के दौर का सबसे डिमांडिंग और इनोवेटिव फील्ड माना जाता है और रजित का मानना है कि इस क्षेत्र में आने वाले वर्षों में अपार संभावनाएं हैं। वह कहते हैं कि तकनीक ने हमारी जिंदगी बदल दी है और भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और साइबर सिक्योरिटी जैसी नई-नई तकनीकें दुनिया को एक नई दिशा देने वाली हैं। ऐसे में IIT बॉम्बे जैसे टॉप संस्थान से पढ़ाई करना उनके सपनों को उड़ान देगा।
रजित बताते हैं कि उनका सपना सिर्फ एक अच्छी नौकरी पाना नहीं है, बल्कि वह रिसर्च और इनोवेशन में योगदान देना चाहते हैं। उनका मानना है कि भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर हमारी टेक्नोलॉजी को और मजबूत बनाने की ज़रूरत है। यही वजह है कि वे कंप्यूटर साइंस को अपने करियर का आधार बनाकर आगे चलकर देश के लिए नए समाधान और इनोवेशन तैयार करना चाहते हैं। IIT बॉम्बे उनके लिए सिर्फ एक कॉलेज नहीं बल्कि वह जगह है जहां से वह अपनी असली जर्नी शुरू करना चाहते हैं।
उनका कहना है – “मेरा सपना है कि मैं टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ अपने करियर के लिए नहीं बल्कि समाज की समस्याओं को हल करने में करूँ। IIT बॉम्बे में पढ़ाई करना मेरे लिए एक सम्मान की बात होगी और वहां से मुझे विश्वस्तरीय एक्सपोज़र और रिसोर्सेस मिलेंगे।”
उनकी यह सोच साफ दर्शाती है कि रजित केवल एक एग्जाम टॉपर नहीं हैं, बल्कि एक विजनरी स्टूडेंट भी हैं, जिनका मकसद व्यक्तिगत सफलता से कहीं आगे जाकर समाज और देश के विकास में योगदान करना है।

महिला टॉपर: देवदत्ता माझी (AIR 16)
महिला टॉपर देवदत्ता माझी की सफलता की कहानी भी उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी रजित गुप्ता की। पश्चिम बंगाल के कटवा की रहने वाली देवदत्ता ने JEE Advanced 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 360 में से 312 अंक हासिल किए और देशभर में महिला श्रेणी की टॉपर बनीं। देवदत्ता ने अपनी स्कूली शिक्षा कटवा के प्रसिद्ध DDC गर्ल्स हाई स्कूल से पूरी की और यह साबित कर दिया कि छोटे शहर और साधारण स्कूलों से भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं। उनकी मेहनत और लगन का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने हाल ही में आयोजित WB बोर्ड परीक्षा में 500 में से 492 अंक हासिल करके 6वीं रैंक प्राप्त की थी। यानी, वह सिर्फ JEE की तैयारी में ही नहीं बल्कि स्कूल लेवल की पढ़ाई में भी लगातार टॉप पर रही हैं।
देवदत्ता ने अपनी कोचिंग की तैयारी FIITJEE eSchool के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से की। उन्होंने यह दिखा दिया कि आज डिजिटल एजुकेशन के दौर में, बिना बड़े शहरों में शिफ्ट हुए भी, सही गाइडेंस और ईमानदार मेहनत के साथ सफलता हासिल की जा सकती है। ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई करते हुए उन्होंने टाइम मैनेजमेंट और सेल्फ-डिसिप्लिन को अपनी ताकत बनाया। हर दिन वह तय समय पर लॉगिन करतीं, क्लासेस को पूरी एकाग्रता से सुनतीं और उसके बाद तुरंत सेल्फ-स्टडी में जुट जातीं।
उनकी यह उपलब्धि उन हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा है जो यह सोचते हैं कि बड़े कोचिंग सेंटर में रहकर ही टॉपर बना जा सकता है। देवदत्ता ने दिखाया कि मेहनत, आत्मविश्वास और सही रणनीति से किसी भी संसाधन की कमी को ताकत में बदला जा सकता है। उनकी यह सफलता न सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है।
पढ़ाई की रणनीति
देवदत्ता माझी की सफलता के पीछे उनकी निरंतर मेहनत और मजबूत आत्म-नियंत्रण की अहम भूमिका रही। उन्होंने कक्षा 11 से ही JEE की तैयारी शुरू कर दी थी और शुरू से ही यह लक्ष्य तय कर लिया था कि उन्हें देश की सबसे कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में टॉप करना है। देवदत्ता कहती हैं – “मैंने हर दिन 10 से 11 घंटे पढ़ाई की और इस दौरान सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली। मेरे लिए समय की बर्बादी सबसे बड़ा दुश्मन था, इसलिए मैंने कभी किसी तरह के डिस्ट्रैक्शन को खुद पर हावी नहीं होने दिया।” उनकी इस सोच ने ही उन्हें लाखों छात्रों की भीड़ में सबसे अलग खड़ा कर दिया।
उनकी तैयारी का राज था – डेली रिवीजन, कड़ी मेहनत और आत्म-नियंत्रण। देवदत्ता का मानना है कि अगर किसी विषय को लंबे समय तक याद रखना है तो उसे रोज़ दोहराना बेहद जरूरी है। इसी कारण उन्होंने हर दिन पढ़े गए चैप्टर और कॉन्सेप्ट्स का संक्षिप्त रिवीजन करने की आदत बनाई। इसके अलावा, उन्होंने कभी पढ़ाई को टालने या “कल से शुरू करूंगी” जैसी सोच नहीं अपनाई। चाहे मौसम कैसा भी हो, थकान कितनी भी हो, उन्होंने हर दिन अपनी स्टडी रूटीन को पूरा करने की कोशिश की।
फैमिली सपोर्ट और मोटिवेशन
देवदत्ता माझी की सफलता की असली नींव उनके परिवार, खासकर उनकी माँ रही हैं। देवदत्ता बताती हैं कि उनकी माँ ही उनकी सबसे बड़ी गाइड थीं। जब भी उन्हें पढ़ाई में किसी प्रकार की उलझन होती या मनोबल गिरता, उनकी माँ हमेशा सकारात्मक सोच के साथ उन्हें समझातीं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं। माँ के इसी मार्गदर्शन और स्नेह ने देवदत्ता को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। लेकिन खास बात यह है कि देवदत्ता ने कभी बाहरी मोटिवेशन पर निर्भर नहीं किया। वे गर्व से कहती हैं – “मैं खुद से प्रेरित रहती थी, मुझे बाहर से मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ी। जब भी थकान होती या पढ़ाई का दबाव महसूस होता, मैं खुद को याद दिलाती कि मेरा सपना कितना बड़ा है और क्यों मुझे इसे हासिल करना है।”
फ्यूचर प्लान
जहाँ अधिकतर JEE टॉपर्स का सपना IITs में दाखिला लेकर कंप्यूटर साइंस पढ़ना होता है, वहीं महिला टॉपर देवदत्ता माझी का सपना कुछ अलग और अनोखा है। देवदत्ता का कहना है कि वह IITs के बजाय IISc बैंगलोर से गणित और कंप्यूटिंग (Mathematics & Computing) में बी.टेक करना चाहती हैं। उनके मुताबिक, IISc का रिसर्च-फोकस्ड माहौल और इंटरडिसिप्लिनरी लर्निंग उन्हें अपने सपनों की दिशा में आगे बढ़ने का सबसे अच्छा अवसर देगा। देवदत्ता बचपन से ही गणित की गहराई को समझने में रुचि रखती रही हैं और उनका मानना है कि कंप्यूटिंग और गणित का कॉम्बिनेशन भविष्य की तकनीकी क्रांति की असली नींव है।
देवदत्ता का अंतिम लक्ष्य है कि वह आगे चलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स में करियर बनाएं। उनका विश्वास है कि आने वाले समय में AI और रोबोटिक्स इंसानी जीवन को पूरी तरह बदल देंगे – चाहे वह हेल्थकेयर हो, एजुकेशन हो या फिर डिफेंस। वे चाहती हैं कि भारत इन क्षेत्रों में केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि वैश्विक लीडर बने और इसके लिए वह खुद रिसर्च और इनोवेशन में योगदान करना चाहती हैं। देवदत्ता कहती हैं – “मेरी चाहत सिर्फ नौकरी पाना नहीं है, बल्कि नई टेक्नोलॉजीज को डेवलप करना और उनका इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए करना है। IISc मुझे वही प्लेटफॉर्म देगा, जहाँ से मैं अपने इस सपने को पंख दे सकती हूँ।”
उनकी यह सोच साफ दर्शाती है कि देवदत्ता केवल एक एग्जाम टॉपर नहीं बल्कि एक विजनरी स्टूडेंट हैं। उनके लिए सफलता का मतलब सिर्फ पर्सनल अचीवमेंट नहीं बल्कि देश के लिए नई दिशा तैयार करना है। IISc में पढ़ाई करने का सपना और AI-रोबोटिक्स में करियर बनाने का संकल्प उन्हें भीड़ से अलग करता है और यह बताता है कि वे आने वाले समय में भारत की तकनीकी दुनिया का एक चमकता सितारा बन सकती हैं।
क्या सीख सकते हैं इन टॉपर्स से?
जब छात्र विषय को गहराई से समझते हैं, तो परीक्षा में आने वाले किसी भी प्रकार के कठिन प्रश्न का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं। रजित और देवदत्ता दोनों ही यह मानते हैं कि स्व-अध्ययन (Self-Study) सबसे ज्यादा प्रभावी तरीका है, क्योंकि इसमें छात्र अपने समय, गति और रणनीति के अनुसार सीख सकता है।
सिर्फ खुद की मेहनत ही नहीं, बल्कि माता-पिता और मेंटर का सहयोग भी उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाता है। सही गाइडेंस और मानसिक समर्थन छात्रों को निरंतर प्रेरित रखता है और कठिन समय में उन्हें आगे बढ़ने की ताकत देता है। रजित और देवदत्ता दोनों की कहानियां यह दर्शाती हैं कि स्मार्ट तैयारी, मानसिक स्थिरता और सही सपोर्ट सिस्टम मिलकर किसी भी छात्र को मुश्किल परीक्षाओं में टॉप रैंक दिला सकते हैं। यही सूत्र लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा बनता है – पढ़ाई में नियमितता, समझदारी, आत्म-नियंत्रण और समर्थन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
JoSAA काउंसलिंग 2025
JEE Advanced 2025 के नतीजों के ऐलान के बाद, अब सभी सफल उम्मीदवारों के लिए अगला महत्वपूर्ण चरण है – अपनी पसंदीदा संस्थानों में प्रवेश के लिए आवेदन करना। इस साल, JEE Advanced के टॉपर्स और बाकी सफल छात्रों के लिए JoSAA (Joint Seat Allocation Authority) काउंसलिंग 3 जून 2025 से शुरू हो रही है। इस काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से छात्र अपने स्कोर और रैंक के अनुसार IITs, NITs, IIITs और अन्य केंद्रीय तकनीकी संस्थानों में सीट के लिए आवेदन कर सकते हैं।
JoSAA काउंसलिंग केवल एक सामान्य आवेदन प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह छात्रों को अपने करियर के अगले बड़े कदम के लिए अवसर प्रदान करती है। काउंसलिंग में छात्रों को उनके रैंक, उनके द्वारा चुनी गई प्राथमिकताओं और संस्थानों की उपलब्धता के आधार पर सीट एलोकेशन की जाती है। इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों को सावधानीपूर्वक विकल्प भरने, रैंक के अनुसार रणनीति बनाने और समय पर सभी डॉक्युमेंट्स अपलोड करने की जरूरत होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस काउंसलिंग में स्मार्ट निर्णय और सही प्राथमिकताओं का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। सही कॉलेज और ब्रांच का चयन न केवल छात्रों के शैक्षिक अनुभव को बेहतर बनाता है, बल्कि उनके भविष्य के करियर पर भी सीधा असर डालता है। JoSAA काउंसलिंग के माध्यम से ही अब देश के सबसे होनहार छात्रों को अपने सपनों का संस्थान चुनने और उसमें प्रवेश पाने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, यह प्रक्रिया सभी छात्रों को यह एहसास भी कराती है कि कठिन परिश्रम और रणनीति के साथ मेहनत का सही इस्तेमाल करके ही वास्तविक सफलता हासिल होती है।
यह केवल सीट एलोकेशन का चरण नहीं, बल्कि उनके सपनों को हकीकत में बदलने का पहला कदम है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे काउंसलिंग के हर चरण में पूरी समझ और सतर्कता से भाग लें, ताकि उनका चयन उनके लक्ष्य और करियर प्लान के अनुरूप हो।
निष्कर्ष
रजित गुप्ता और देवदत्ता माझी की सफलता की कहानी यह साफ़ उदाहरण पेश करती है कि परीक्षा में टॉप करने के लिए केवल किताबों में ज्ञान रखना ही पर्याप्त नहीं है। असली सफलता उस सोच, रणनीति और लगातार प्रयास का नतीजा होती है जो छात्र अपने दैनिक जीवन और तैयारी में अपनाते हैं।
उनकी कहानी न सिर्फ टॉपर्स की उपलब्धि बताती है, बल्कि आने वाले छात्रों के लिए एक रोडमैप भी तैयार करती है। यदि आप भी JEE या किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो रजित और देवदत्ता की रणनीति और अनुभव आपके लिए बेहद प्रेरणादायक साबित हो सकते हैं। यह समझना जरूरी है कि परीक्षा की तैयारी सिर्फ कठिन मेहनत नहीं है, बल्कि उसे सही दिशा, समय प्रबंधन और मानसिक स्थिरता के साथ करना सफलता की कुंजी है। उनके अनुभव यह भी सिखाते हैं कि पढ़ाई के दौरान अनुशासन, लचीलापन, डेली रिवीजन और आत्म-नियंत्रण को अपनाना बेहद असरदार होता है।
सफलता की यह कहानी यह संदेश देती है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करना असंभव नहीं है। सही सोच, लगातार प्रयास और स्मार्ट तैयारी के माध्यम से छात्र न केवल कठिन परीक्षाओं में टॉप कर सकते हैं, बल्कि अपने सपनों को भी हकीकत में बदल सकते हैं। रजित और देवदत्ता की यह जर्नी लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दिखाती है कि अगर दिशा और मेहनत सही हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। यही कारण है कि उनकी कहानी आज पूरे देश के छात्रों के लिए एक प्रेरक मिसाल बन चुकी है
टॉपिक से जुड़ी जरूरी बातें:
तैयारी का सीक्रेट: कंसिस्टेंसी + स्मार्ट वर्क; पढ़ाई तभी जब मन करता, लेकिन फोकस के साथ; स्व-अध्ययन और मॉक टेस्ट पर जोर।
परिवार का सपोर्ट: पिता इंजीनियर, माँ प्रोफेसर; दबाव नहीं, सकारात्मक सहयोग।
भविष्य का सपना: IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस में बी.टेक करना।
महिला टॉपर – देवदत्ता माझी
स्कोर: 360 में से 312 अंक।
राज्य: पश्चिम बंगाल।
स्कूल: कटवा DDC गर्ल्स हाई स्कूल।
कोचिंग: FIITJEE eSchool (ऑनलाइन)।
बोर्ड परीक्षा: 500 में से 492 अंक, WB बोर्ड में 6वीं रैंक।
तैयारी की रणनीति: कक्षा 11 से तैयारी शुरू; रोज़ाना 10–11 घंटे पढ़ाई; सोशल मीडिया से दूरी; डेली रिवीजन और आत्म-नियंत्रण।
परिवार और मेंटर का सहयोग: माँ मुख्य गाइड; बाहरी मोटिवेशन की जरूरत नहीं।
भविष्य का सपना: IISc बैंगलोर से गणित और कंप्यूटिंग में बी.टेक; AI और रोबोटिक्स में करियर।
सक्सेस के मुख्य सूत्र
अनुशासन + लचीलापन = स्मार्ट तैयारी।
स्ट्रेस से दूर रहना और मानसिक संतुलन बनाए रखना।
कोर्स की गहराई में जाकर पढ़ाई करना ज्यादा असरदार।
स्व-अध्ययन (Self-Study) सबसे महत्वपूर्ण।
माता-पिता और मेंटर का सपोर्ट अहम भूमिका निभाता है।
JoSAA काउंसलिंग
सभी सफल उम्मीदवार 3 जून 2025 से JoSAA काउंसलिंग के जरिए अपनी पसंदीदा IITs, NITs, IIITs और अन्य तकनीकी संस्थानों में सीट के लिए आवेदन कर सकते हैं।
काउंसलिंग में रैंक, प्राथमिकताओं और संस्थानों की उपलब्धता के आधार पर सीट एलोकेशन होती है।
स्मार्ट निर्णय और सही प्राथमिकताओं का चुनाव करियर के लिए अहम।
मोटिवेशनल सीख
सफलता केवल किताबों या घंटों पढ़ाई से नहीं, बल्कि सोच, रणनीति और लगातार प्रयास से मिलती है।
मानसिक संतुलन, अनुशासन, लचीलापन और आत्म-प्रेरणा सफलता की कुंजी हैं।
टॉपर्स की कहानी आने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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